नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों से अपने पॉलिसीधारकों को डिजिटल पॉलिसी जारी करने और इनका उपयोग करने का तरीका बताने को कहा है। नियामक ने कहा कि यह कदम न सिर्फ लागत कम करेगा बल्कि दावे को निपटाने की प्रक्रिया भी तेज करेगा। भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (इरडा) ने जीआईसी आरई, लॉयड्स (इंडिया) और एफआरबी (विदेशी री-इंश्योरेंस ब्रांच) को छोड़कर सभी बीमा कंपनियों को जारी एक परिपत्र में कहा कि डिजिलॉकर लागत में कटौती करेगा। यह पॉलिसी कॉपी की डिलीवरी न होने से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने, बीमा सेवाओं के तेज प्रसंस्करण, शीघ्रता से दावों के निपटान, विवादों में कमी, धोखाधड़ी पर लगाम, उपभोक्ताओं तक बेहतर पहुंच समेत कई सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगा। इरडा ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिलने की उम्मीद है।
गैर-जीवन बीमा कंपनियों का प्रत्यक्ष प्रीमियम 7 प्रतिशत बढ़ा
गैर-जीवन बीमा कंपनियों का सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम संग्रह जनवरी में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 18,488.06 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बीमा नियामक इरडा के आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली। भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (इरडा) के आंकड़ों के अनुसार, सभी गैर-जीवन बीमा कंपनियों ने पिछले साल इसी महीने में 17,333.70 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष प्रीमियम जमा किया था। आंकड़ों के अनुसार, 25 सामान्य बीमा कंपनियों ने 2021 के पहले महीने में अपने सामूहिक प्रीमियम में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और यह 16,247.24 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो जनवरी 2020 में 14,663.40 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि, निजी क्षेत्र के पांच स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के प्रीमियम अंडरराइटिंग में जनवरी में 1.34 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गयी और यह 1,510.20 करोड़ रुपये पर आ गया।