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भारत पर भारी पड़ा धमकी देना, तेल आयात कटौती के जवाब में ईरान ने भुगतान का समय किया कम

भारत ने ईरान से कच्चे तेल आयात की मात्रा कम करने की धमकी क्‍या दी, ईरान ने बदले में आयातित तेल के भुगतान का समय तीन माह से घटाकर दो माह कर दिया।

Abhishek Shrivastava
Published on: April 07, 2017 14:31 IST
भारत पर भारी पड़ा धमकी देना, तेल आयात कटौती के जवाब में ईरान ने भुगतान का समय किया कम- India TV Paisa
भारत पर भारी पड़ा धमकी देना, तेल आयात कटौती के जवाब में ईरान ने भुगतान का समय किया कम

नई दिल्ली। भारत ने ईरान से कच्चे तेल आयात की मात्रा कम करने की धमकी क्‍या दी, ईरान ने बदले में आयातित तेल के भुगतान का समय तीन माह से घटाकर दो माह कर दिया साथ ही भाड़ा दर भी बढ़ा दी।

ईरान, भारत का तीसरा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है। वह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और मेंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) जैसी भारतीय तेल आयातक कंपनियों को भुगतान के लिए 90-दिन का समय देता रहा है, जिसे अब घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

ईरान से तेल आयात काफी आसान शर्तों पर होता रहा है। भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों के लिए ये शर्तें काफी आकर्षक रही हैं। तेल आयात का भुगतान 90 दिनों में करने के साथ ही ईरान सामान्य समुद्री भाड़े का 20 प्रतिशत ही भाड़ा लेता है। इसके विपरीत पश्चिम एशिया के दूसरे देश भुगतान के लिए 15 दिन से ज्यादा समय नहीं देते हैं।

सूत्रों ने बताया कि ईरान की नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी ने भारतीय खरीदारों को भाड़े पर कटौती को 80 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत करने का फैसला किया है। आईओसी और एमआरपीएल ईराने से कच्चे तेल की सबसे बड़ी खरीदार हैं। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से तेल आयात को पिछले साल के 50 लाख टन से घटाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया है। भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम भी आयात में पांच-पांच लाख टन की कटौती करेंगे। ये दोनों कंपनियां अब 15–15 लाख टन कच्चे तेल का आयात करेंगी।

दरअसल, भारत ने तेहरान पर उसके फर्जाद-बी क्षेत्र को ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को आवंटित करने के लिए दबाव बनाया है। ओएनजीसी विदेश ने क्षेत्र में दस साल पहले खोज की थी और वह इसे विकसित करने का अधिकार चाहता है। क्षेत्र में 12,500 अरब घनफुट तेल-गैस का भंडार होने का अनुमान है।

इस सप्ताह शुरू में ईरान के तेल मंत्री बिजन झांगनेह ने आयात कटौती की किसी भी तरह की धमकी को दरकिनार करते हुए कहा कि हम धमकी के दबाव में समझौते नहीं करते हैं। ईरानी समाचार एजेंसी इरना ने झांगनेह के हवाले से कहा, डराने धमकाने की भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं है, ईरान का तेल खरीदने के लिए कई ग्राहक हैं और उनकी मांग हमारी निर्यात क्षमता से भी ज्यादा है।

भारत, चीन के बाद ईरान का दूसरा बड़ा तेल खरीदार है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत उन कुछ देशों में शामिल रहा है, जो ईरान से तेल आयात करते रहे। पिछले साल ईरान से प्रतिबंध हटने के बाद से फर्जाद-बी गैस क्षेत्र को विकसित करने के ओवीएल को अधिकार देने में ईरान सख्ती दिखाता रहा है। हालांकि, ओवीएल ने क्षेत्र के विकास के लिए पांच अरब डॉलर से अधिक की नई मास्टर विकास योजना सौंपी है।

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