नई दिल्ली। ईरान ने भारत को क्रूड ऑयल के मुफ्त परिवहन तथा तेल बकाये का आधा हिस्सा रुपए में प्राप्त करने की तीन साल पुरानी प्रणाली समाप्त कर दी है। ईरान पर अब पश्चिमी देशों का कोई प्रतिबंध नहीं है और उसी को देखते हुए वह यह कदम उठा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि इस्लामिक देश अब भारतीय रिफाइनरियों को बेचे जाने वाले तेल का भुगतान यूरो में करने पर जोर दे रहा है।
साथ ही ईरान चाहता है कि एस्सार ऑयल तथा मैंगलोर रिफाइनरी तथा पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमपीआरएल) जैसी रिफाइनरियां 6.5 अरब डॉलर का पिछला बकाया यूरो में भुगतान करें। ईरान ने नवंबर 2013 में भारतीय रिफाइनरियों को कच्चे तेल की मुफ्त डिलीवरी की पेशकश की थी। इसका कारण पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण उसके निर्यात पर असर पड़ना था। पोत परिवहन कंपनियां प्रतिबंध की डर से ईरान के कच्चे तेल का परिवहन करने से इनकार कर रही थी। ऐसे में इस्लामिक देश ने तेल परिवहन के लिए अपनी जहाजरानी कंपनियों का उपयोग किया और परिवहन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया।
एक अधिकारी ने बताया, नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (एनआईओसी) ने भारतीय कंपनियों को लिखा है कि वह मुफ्त में तेल का परिवहन अब नहीं करेगी। वह अपने टैंकरों में तेल का परिवहन जारी रखेगी लेकिन कुछ छूट के साथ शुल्क लेगी। उसने कहा कि ईरन से कच्चे तेल के परिवहन पर अब शुल्क आधे से कम होगा और भविष्य में 50 फीसदी छूट भी खत्म की जा सकती है। हालांकि ईरान ने भुगतान के लिए 90 दिन की क्रेडिट सुविधा बरकरार रखी है। यानी बिल आने के तीन महीने बाद भुगतान किया जा सकता है। जनवरी में अमेरिका के प्रतिबंध हटाए जाने के बाद ईरान ने भारत से कहा कि तेल आयात बिल का 45 फीसदी रुपए में भुगतान की तीन साल पुरानी व्यवस्था समाप्त की जा रही है।