तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आश्वस्त किया कि उनका देश भारत की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में एक विश्वसनीय भागीदार हो सकता है। उन्हों ने कहा, दोनों देशों ने विशेष रूप से तेल एवं गैस क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने संबंधों में उल्लेखनीय विस्तार करने का फैसला किया है। विदेश मंत्री ईरान की यात्रा पर है। उन्होंने यहां रूहानी से मुलाकात की और ईरान के विदेश मंत्री जावद जारिफ से बातचीत की। उन्होंने सर्वोच्च नेता सैयद अली खमेनी के सलाहकार अली अकबर विलायती से भी मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। रूहानी ने स्वराज से कहा, ईरान भारत की ऊर्जा की आवश्यकता के लिए विश्वसनीय भागीदारी हो सकता है।
भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ खिलाफ पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंध के हटाए जाने के बाद ईरान के साथ ऊर्जा क्षेत्र में संबंधों के विस्तार के लिए तेल एवं गैस क्षेत्र समेत पेट्रो-रसायन और उर्वरक खंड में 20 अरब डालर का निवेश की तैयारी पहले तैयारी कर ली है। भारत ईरान से तेल का आयात बढ़ाने को भी इच्छुक है जो फिलहाल 3,50,000 बैरल प्रति दिन है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, रूहानी ने चाबहार बंदरगाह को महत्वपूर्ण भागीदारी करार दिया जिसमें पूरे इलाके के साथ सम्पर्क सुविधा बढ़ाने की संभावना है। बातचीत मुख्य रूप से उर्जा सहयोग और चाबहार बंदरगाह के विकास पर केंद्रित थी। वार्तां का विषय ज्यादातर आर्थिक था।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्वरूप ने कहा कि स्वराज ने अपनी ओर से रूहानी को जारिफ के साथ हुई चर्चा के बारे में बताया और कहा कि भारत ने ईरान को हमेशा अपने विस्तृत पड़ोस का अंग माना है। उन्होंने ईरान के तेल एवं गैस समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की भारत की इच्छा के बारे में बनाया। स्वराज ने ईरान के राष्ट्रपति से कहा, प्राकृतिक रप से एक दूसरे पूरक होने के मद्देनजर हमें एक खरीदार-विक्रेता के संबंध से आगे बढ कर एक परस्पर लाभकारी भागीदारी की ओर बढाना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि रूहानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रूस के उफा में हुई अपनी मुलाकात को याद किया और मंत्री से कहा कि वह मोदी को उनकी ओर से शुभकामनाएं दें।
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