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New Norms: प्राइवेट बैंकों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के आरबीआई की मंजूरी जरूरी

आरबीआई ने कहा कि बैंकों में कुल हिस्सेदारी 5% या इससे अधिक करने के लिए उसकी मंजूरी लेने की जरूरत होगी। खरीदारी के लिए विस्तृत नियम भी जारी किया है।

Dharmender Chaudhary
Published : November 20, 2015 15:49 IST
New Norms: प्राइवेट बैंकों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के आरबीआई की मंजूरी जरूरी
New Norms: प्राइवेट बैंकों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के आरबीआई की मंजूरी जरूरी

मुंबई। प्राइवेट बैंकों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मंजूरी जरुरी हो गई है। आरबीआई ने कहा कि बैंकों में कुल हिस्सेदारी पांच फीसदी या इससे अधिक करने के लिए उसकी पूर्वानुमति लेने की जरूरत होगी। इसके अलावा सेंट्रल बैंक ने बैंकों में खरीदारी के लिए विस्तृत नियम जारी कर दिए है।

आरबीआई बताएगा कितनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं बैंक

प्राइवेट बैंकों में खरीदारी के लिए रिजर्व बैंक आवेदक की स्थिति का आकलन करेगा और उसके बाद ही उसे अनुमति देगा। आरबीआई आकलन के आधार पर आवेदन को खारिज कर सकता है या फिर जितने अधिग्रहण के लिए आवेदन किया गया है उससे कम की अनुमति दे सकता है। रिजर्व बैंक का निर्णय आवेदक और संबंधित बैंक पर अनिवार्य होगा। प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में शेयरों के अधिग्रहण और मताधिकार प्राप्त करने के लिए पूर्वानुमति के संबंध में जारी मास्टर निर्देशन में यह बात कही गई है। नया नियम प्राइवेट बैंक बैंकों के मौजूदा और प्रस्तावित प्रमुख शेयरधारकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित सभी निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू होंगे।

इसके के लिए मंजूरी नहीं जरूरी

रिजर्व बैंक ने कहा कि अधिग्रहण से जहां प्रमुख शेयरधारकों की होल्डिंग कुल शेयरों और मताधिकार दस फीसदी तक पहुंचती है तब ऐसे मामलों में रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति जरूरी नहीं है। प्रमुख शेयरधारकों से यहां तात्पर्य ऐसे शेयरधारक जिनकी होल्डिंग चुकता शेयर पूंजी के पांच फीसदी या इससे अधिक है या हो सकती है। या फिर कुल मताधिकार के पांच फीसदी अथवा इससे अधिक है अथवा हो सकती है।

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