नई दिल्ली: देश के शेयर बाजारों में जारी तेजी का असर पी-नोट निवेश में भी देखा गया। भागीदारी- नोट (पी-नोट) के जरिये भारतीय पूंजी बाजार में निवेश जुलाई अंत तक बढ़कर 1.02 लाख करोड़ रुपये हो गया। पिछले 40 माह के दौरान निवेश का यह सबसे ऊंचा स्तर है। इसके साथ ही लगातार चौथी महीने इसमें वृद्धि दर्ज की गयी है। पी-नोट पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि उन्हें एक उचित समीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट निवेश का मूल्य – इक्विटी, डेट और हाइब्रिड सिक्योरिटी – जुलाई अंत में बढ़कर 1,01,798 करोड़ रुपये पहुंच गया। यह 30 जून, 2021 तक 92,261 करोड़ रुपये था। इससे पहले, मई की समाप्ति पर निवेश 89,743 करोड़ रुपये, अप्रैल की समाप्ति पर 88,447 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2021 को 89,100 करोड़ रुपये रुपये तक पहुंचा था।
जुलाई तक पी-नोट के जरिए कुल 1,01,798 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिसमें 93,150 करोड़ रुपये इक्विटी में, 8,290 करोड़ रुपये डेट में और 358 करोड़ रुपये हाइब्रिड सिक्योरिटी में निवेश किए गए थे। जुलाई 2021 में निवेश का यह स्तर मार्च 2018 के बाद से सबसे ज्यादा है, जब इस निवेश मार्ग के जरिये कुछ निवेश राशि का प्रवाह 1,06,403 करोड़ रुपये रहा।
विशेषज्ञों के अनुसार इस रुझान से घरेलू बाजारों में विदेशी निवेशकों के बढ़ते विश्वास का पता चलता है। विदेशी कोषों के बढ़ते निवेश प्रवाह के बाद जुलाई अंत तक एफपीआई के अधीन कुल संपत्ति बढ़कर 48.36 लाख करोड़ रुपये हो गयी जो कि जून की समाप्ति पर 48 लाख करोड़ रुपये थी।