नई दिल्ली। बढ़ते एनपीए से चिंतित बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) एक मध्यस्थ प्रणाली पर काम कर रहा है ताकि इस समस्या का जल्द समाधान ढूंढा जा सके और बैंक प्रबंधन को बकाए के भुगतान में सहूलियत मिल सके। ब्यूरो के अध्यक्ष, विनोद राय ने कहा, हम मध्यस्थ प्रणाली ला रहे हैं, जो कुछ प्रक्रियाओं का विश्लेषण करेगा, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में मौजूद एनपीए का समाधान होगा।
उन्होंने कहा कि मध्यस्थ प्रणाली से बैंक प्रबंधन-मुख्य कार्यकारी या कार्यकारी निदेशक- को कुछ हद तक सहूलियत होगी। दो तरह के मुद्दे हैं। एक है समाधान की प्रक्रिया और दूसरी है मूल्य निर्धारण, जिसके आधार पर समाधान होगा। उन्होंने कहा, मूल्य निर्धारण संस्थान का वाणिज्यिक फैसला है। मुझे नहीं लगता कि किसी बाहरी एजेंसी को ऐसा करना उचित होगा। यह पूछने पर कि ऐसा कब होगा, इस पर विचार हो रहा है। हमने अभी अपनी सोच पक्की नहीं की है। लेकिन एक मध्यस्थ प्रणाली होगी। यह बैंक के नीति निर्माताओं को बहुत सहूलियत देगी और यह बेहद विश्वसनीय होगी।
बिना कोई ब्योरा दिए उन्होंने कहा कि पखवाड़े भर में पूरी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह पूछने पर कि क्या यह ब्यूरो के तहत काम करेगा, उन्होंने कहा कि यह इससे बाहर होगा और बैंकों के दायरे में होगा। पिछले साल राय ने इस बात पर जोर दिया था कि एनपीए की स्थिति बहुत खतरनाक नहीं है। साथ ही कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के पास एनपीए की चिंता से निपटने की अपनी रणनीति है। मार्च 2015 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादक आस्तियां (एनपीए) 2,67,065 लाख करोड़ रुपए थी, जो दिसंबर 2015 में बढ़कर 3,61,731 लाख करोड़ रुपए हो गई।