नयी दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शनिवार को देरी से जीएसटी दाखिल करने वालों व्यापारियों में बने भ्रम को दूर करते हुए स्पष्ट किया अब जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारियों के आधार पर की जाएगी। यानी अब व्यापारियों को केवल नेट टैक्स पर लगने वाले लेट पेमेंट का ही भुगतान करना होगा। सीबीआईसी ने कहा है कि इस संबंध में जीएसटी कानून में संशोधन किए गए हैं।
सीबीआईसी ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को हाल में निर्देश दिया है कि वे विलम्ब से भुगतान किए गए माल एवं सेवाकर के भुगतानों पर बकाया ब्याज की वसूली शुरू करें। अनुमान है कि ब्याज का बकाया 46,000 करोड़ रुपए तक हो गया है। इस निर्देश से उद्योग जगत में चिंता बतायी जा रही है। गौरतलब है कि हाल ही में सीबीआईसी ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे देरी से जीएसटी भुगतान करने वालों से लेटपेमेंट के आधार पर टैक्स वसूली करें। सीबीआईसी ने कहा कि जीएसटी कानूनों के तहत अभी लेट पेमेंट इंटरेस्ट की गणना ग्रोस टैक्स लाइबेलिटी के आधार पर होती है। इस स्थिति पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल 2019 के आदेश के द्वारा रोक लगा दी है।
उद्योग जगत की चिंताओं के बीच सीबीआईसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट जारी करके स्पष्ट किया है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने जीएसटी संबंधी अधिनियमों में पिछली तिथि से प्रभावी संशोधन कर दिए हैं। इसके बाद अब ब्याज की गणना कर के शुद्ध बकाए के आधार पर की जाएगी। एक ट्वीट में बोर्ड ने कहा है, 'अभी जीएसटी के अधिनियमों में विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर ब्याज की गणना सकल देनदारी के आधार पर करने की छूट है' 'इस कानूनी स्थिति और तेलंगाना उच्च न्यायालय के ओदश के बावजूद केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर अपने-अपने सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियमों में संशोधन कर लिए हैं ताकि विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर शुद्ध देनदारी के आधार पर ब्याज लगाया जा सके।'
जीएसटी/एसजीएसटी कानूनों में हो रहा है बदलाव
सीबीआईसी ने कहा कि तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले के बाद जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें अपने सीजीएसटी और एसजीएसटी एक्ट में बदलाव कर रही हैं। इस बदलाव के बाद नेट टैक्स लाइबिलिटी पर ही लेटपेमेंट इंटरेस्ट की गणना की जाएगी। सीबीआईसी ने कहा कि तेलंगाना और पश्चिम बंगाल अपने राज्य जीएसटी कानून में बदलाव की प्रक्रिया में हैं। बदलाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए कानून पूरे देश में लागू कर दिए जाएंगे।