अहमदाबाद। जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर को जमाने के लिए सरकार और इंडस्ट्री दोनों को ध्यान देने की जरूरत है। एसोचैम के सर्वे में यह बात सामने निकलकर आई है। सर्वे के मुताबिक दोनों मिलकर काम करेंगे तो ही नए डिजाइन, प्रोसेसिंग और स्किल डेवलपमेंट के लिहाज से ग्लोबल मार्केट में बने रह सकते हैं। उद्योग संगठन एसोचैम और टारी के कंबाइंड स्टडी के मुताबिक ग्लोबलाइजेशन के साथ उपभोक्ताओं की पसंद तेजी से बदली है। नए और इनोवेटिव डिजाइनों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। ऐसी स्थिति में भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को नए तरीके अपनाने और रिसर्च करने की जरूरत है।
गैर-ब्रांडेड ज्वैलरी की बढ़ी मांग
रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं की मांग अब वैश्विक स्तर पर गैर-ब्रांडेड से ब्रांडेड ज्वैलरी की ओर बढ़ रही है। 2011 में यह बढ़कर 20 फीसदी हो गई जो 2003 में सिर्फ 10 फीसदी थी और 2020 तक यह बढ़कर 30 फीसदी हो जाने वाली है। सर्वे में कहा गया कि उद्योग में ज्यादातर असंगठित इकाइयां हैं, भारत को वैश्विक बाजार में अपना ब्रांड स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि ब्रांडेड जेवरात की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा किया जा सके।
पांच साल में पांच गुना बढ़ेगा ज्वैलरी निर्यात
रिपोर्ट में कहा कि गया वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत ने 2013-14 में आठ अरब डॉलर के सोने के जेवरात का निर्यात किया और उम्मीद है कि 2020 तक यह 40 अरब डॉलर का हो जाएगा। इसमें कहा गया कि 2015-16 के पहले छह महीनों के दौरान भारत से कुल 19.22 अरब डॉलर के जेम्स और ज्वैलरी का निर्यात हुआ। इस क्षेत्र में करीब 46 लाख लोग काम करते हैं। उम्मीद है कि 2020 तक इस क्षेत्र के श्रमबल की संख्या 35 लाख बढ़कर 82 लाख से अधिक हो जाने की उम्मीद है।