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नए एनपीए नियमों में RBI की तरफ से राहत के कोई संकेत नहीं, लटक सकती है इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स की फाइनेंसिंग

बैंकों की दबाव वाली संपत्तियों (NPA) के मामले में जारी नए नियमों में रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। यही वजह है कि बैंक लंबी अवधि के कर्ज, विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं (इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजक्‍ट्स) के लिए दिए जाने वाले कर्ज को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं।

Edited by: Manish Mishra
Published on: April 23, 2018 18:40 IST
RBI- India TV Paisa

RBI

 

मुंबई। बैंकों की दबाव वाली संपत्तियों (NPA) के मामले में जारी नए नियमों में रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। यही वजह है कि बैंक लंबी अवधि के कर्ज, विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं (इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजक्‍ट्स) के लिए दिए जाने वाले कर्ज को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं और इनकी फाइनेंसिंग लटक सकती है। रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी को एक नया सर्कुलर जारी किया। इसमें फंसे कर्ज के समाधान के लिए नई रूपरेखा जारी की गई है।

रिजर्व बैंक के इन नये नियमों में कर्ज में फंसी राशि के त्वरित समाधान पर जोर दिया गया है। बैंकों को फंसी राशि के त्वरित समाधान के साथ आगे आना होगा और उसे समयबद्ध दायरे में रहते हुये राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के समक्ष ले जाना होगा।

नए नियमों में बैंकों को एक दिन की देरी होने पर भी फंसे कर्ज के बारे में जानकारी देने को कहा गया है। बैंकों ने इस बारे में केंद्रीय बैंक से कुछ राहत देने की मांग की थी लेकिन रिजर्व बैंक ने इस संबंध में जारी अपने 12 फरवरी के सर्कुलर में कोई राहत नहीं दी है।

एक वरिष्ठ बैंकर ने इस मामले में अपनी बात रखते हुए कहा कि रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में कोई रियायत नहीं देने जा रहा है। अब मेरा मानना है कि बैंक काफी सतर्क हो जायेंगे। खासतौर से बिजली, सड़क और बंदरगाह जैसे क्षेत्रों में जहां लंबी अवधि के लिए फाइनेंस की आवश्यकता होती है उनमें काफी सतर्कता बरती जाएगी। बैंकर का कहना है कि कर्ज का ज्यादातर पुनर्गठन ढांचागत क्षेत्र के लिए दिए गए लंबी अवधि के कर्ज के मामले में ही होता है।

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