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इंफोसिस के पूर्व CFO को आखिरी भुगतान का मामला: बालाकृष्णन ने कहा भावना नहीं, कानून का मसला है

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) वी. बालाकृष्णन ने कहा है कि पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को कंपनी छोड़कर जाने के एवज में किये गये विवादास्पद भुगतान का मामला ‘व्हिसिलब्लोअर’ यानी राज उजागर करने वाले आंतरिक कर्मचारी की भावना का मामला नहीं है।

Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 11, 2017 17:58 IST
Infosys- India TV Paisa
Infosys

बेंगलुरु। आईटी कंपनी इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) वी. बालाकृष्णन ने कहा है कि पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को कंपनी छोड़कर जाने के एवज में किये गये विवादास्पद भुगतान का मामला ‘व्हिसिलब्लोअर’ यानी राज उजागर करने वाले आंतरिक कर्मचारी की भावना का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि बाजार विनियामक Sebi के लिए यह एक कानून का सवाल है और वह कानून के आधार पर ही तय करेगा कि इसमें कंपनी की ओर से निपटान के लिए दायर अर्जी को मंजूर किया जा सकता है या नहीं।

बालाकृष्णन ने कहा कि व्हिसिलब्लोअर को जो कहना था उसने कह दिया है, ये कानूनी मुद्दे हैं और इनके बारे में साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लिये जाते हैं न कि किसी की भावना के आधार पर। इस मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) बाजार नियामक के तौर पर क्या सोचता है, सिर्फ यही मायने रखता है।

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में इंफोसिस के ही एक कर्मचारी ने इसरायल की कंपनी पनाया के अधिग्रहण के सौदे तथा बंसल के आखिरी भुगतान के पैकेज में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए Sebi को पत्र लिखा था।

पत्र के अनुसार बंसल के कंपनी छोड़ने के पैकेज को तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) विशाल सिक्का और कंपनी के तत्कालीन प्रमुख विधि सलाहकार डेविड केनेडी ने तय किया था। व्हिसिलब्लोअर ने पूछा था कि इंफोसिस इस पैकेज के बारे में सवालों का जवाब देने में आनाकानी क्यों कर रही है? उसने इस राशि को ‘मुंह बंद’ रखने के लिए किया गया भुगतान बताया है।

उसने पत्र में कहा था कि,

कंपनियों को पीछे के दरवाजे से मामले को सुलझाने का चलन भले ही है लेकिन इस मामले में इंफोसिस को इसकी छूट नहीं मिलनी चाहिए। Sebi को कंपनी के निदेशक मंडल तथा प्रबंधन दोनों की जांच करनी चाहिए।

उसने कहा था कि मामले को निपटाने की इंफोसिस की अर्जी को मौका देना पिछले दरवाजे से समझौता करने के समान है। यदि इंफोसिस को ऐसा करने की अनुमति दी गयी तो आगे से कोई भी व्हिसिलब्लोअर कॉरपोरेट क्षेत्र में होने वाली धांधलियों का खुलासा करने का जोखिम नहीं उठाएगा।

बालाकृष्णन ने दोहराया कि,

हो सकता है कि उठाए गए मामले के बारे में व्हिसिलब्लोअर की भावनाएं बहुत मजबूत रही हों लेकिन नियामक (Sebi) इस मामले कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगा और निर्णय लेगा।

उल्लेखनीय है कि इस पत्र ने इंफोसिस द्वारा मामला सुलझाने के लिए Sebi के आवेदन के बाद खराब कंपनी संचालन के मुद्दे को एक बार फिर से सतह पर ला दिया था। इसके बाद बालाकृष्णन और एक अन्य पूर्व CFO टीवी मोहनदास पई ने कंपनी के खिलाफ हमला शुरू कर दिया था। बालाकृष्णन ने इस मामले में निदेशक मंडल के सदस्यों रूपा कुडवा और रवि वेंकटेशन के इस्तीफे की मांग की थी।

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