मुंबई। नंदन नीलेकणि की वापसी की खबर भर से दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस को हुए घाटे की भरपाई होना शुरू हो गई है। कंपनी के सीईओ के पद से विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद जो घाटा हुआ था उसकी लगभग एक चौथाई भरपाई नीलेकणी की वापसी की खबर से हो गई है। नंदन नीलेकणी पहले भी मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक इंफोसिस के सीईओ रह चुके हैं।
दो दिन से बाजार में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि नंदन नीलेकणि फिर से इंफोसिस के सीईओ बनाए जा सकते हैं। आईसीआईसीआई और एचडीएफसी सहित 12 फंड मैनेजरों ने भी नीलेकणि के सीईओ बनाए जाने की वकालत की है। इंफोसिस के संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधत्व करने वाले करीब 12 फंड मैनेजरों नें नीलेकणि को इंफोसिस के निदेशक मंडल में वापस लाने का सुझााव दिया है।
नीलेकणि को लेकर इस तरह की खबरों से शेयर बाजार में इंफोसिस के शेयरों में रिकवरी देखने को मिल रही है। बुधवार से ही बाजार में इंफोसिस का शेयर तेज है, गुरुवार को भी सेंसेक्स पर शेयर 918 पर कारोबार करता हुआ दिखाई दिया। 2 दिन पहले यानि 22 अगस्त को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी का शेयर घटकर 870 के भी नीचे लुढ़क गया था।
शेयर बाजार में इंफोसिस के शेयर में आई रिकवरी की वजह से कंपनी की मार्केट कैप में भी तेजी से रिकवरी देखने को मिल रही है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक गुरुवार को कंपनी की मार्केट कैप फिर से रिकवर होकर 2.10 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गयी है। मंगलवार को जब कंपनी का शेयर घटकर 870 रुपए के नीचे आया था उस समय इंफोसिस की मार्केट कैप भी घटकर 2 लाख करोड़ के नीचे आ गई थी।
विशाल सिक्का ने जब अपने इस्तीफे की घोषणा की थी उस समय इंफोसिस की मार्केट कैप लगभग 2.36 लाख करोड़ रुपए थी, सिक्का के जाने के बाद इंफोसिस का मार्केट कैप 2.36 लाख करोड़ से घटकर 1.99 लाख करोड़ आ गया था लेकिन नीलेकणि के आने की खबर से वापस 2.10 लाख करोड़ हो गया।