![Infosys faces another whistleblower complaint, CEO accused of misdeeds](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/paisa-new-lazy-big-min.jpg)
Infosys faces another whistleblower complaint, CEO accused of
misdeeds
नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी इंफोसिस फिर विवादों में घिरती नजर आ रही है। अब एक और गोपनीय पत्र सामने आया है, जिसमें कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सलिल पारेख के खिलाफ गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए निदेशक मंडल से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। अभी कुछ सप्ताह पहले कंपनी के अंदर के ही कर्मचारियों के एक समूह ने इंफोसिस के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था, जिसकी जांच चल रही है।
इसमें कहा गया था कि ये अधिकारी कंपनी की अल्पकालिक वित्तीय रिपोर्ट चमकाने के लिए खर्चों को कम करके दिखाने के अनुचित कार्य में लिप्त हैं। ताजा मामले में व्हिसलब्लोअर ने खुद को कंपनी के वित्त विभाग का कर्मचारी बताया है। इस पत्र में कहा गया है कि वह यह शिकायत सर्वसम्मति से कर रहा है। पहचान नहीं बताने के बारे में पत्र में कहा गया है कि यह मामला काफी विस्फोटक है और उसे आशंका है कि पहचान खुलने पर उसके खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई की जा सकती है।
इस व्हिसलब्लोअर पत्र में तारीख नहीं पड़ी है। इसमें कहा गया है कि मैं आपका ध्यान कुछ उन तथ्यों की ओर दिलाना चाहता हूं जिनसे मेरी कंपनी में नैतिकता की प्रणाली कमजोर पड़ रही है। कंपनी का कर्मचारी और शेयरधारक होने के नाते मुझे लगता है कि यह मेरा कर्तव्य है कि कंपनी के मौजूदा सीईओ सलिल पारेख द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया जाए। मुझे उम्मीद है कि आप इंफोसिस की सही भावना से अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे और कर्मचारियों तथा शेयरधारकों के पक्ष में कदम उठाएंगे। कंपनी के कर्मचारियों और शेयरधारकों में आपको लेकर काफी भरोसा है।
पत्र में कहा गया है कि डा. विशाल सिक्का के जाने के बाद कंपनी के नए सीईओ की खोज के लिए अनुबंधित की गई कंपनी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि यह पद बेंगलुरू के लिए होगा। पारेख को कंपनी में आए एक साल और आठ महीने हो गए हैं, लेकिन अब भी वह मुंबई से कामकाज कर रहे हैं। नए सीईओ का नाम छांटने और उसका चयन करते समय जो मूल शर्त रखी गई थी यह उसका उल्लंघन है।
यह शिकायत कंपनी के चेयरमैन, इंफोसिस के निदेशक मंडल के स्वतंत्र निदेशकों तथा नियुक्ति एवं वेतन समिति (एनआरसी) को संबोधित किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि कंपनी के निदेशक मंडल को सीईओ को बेंगलुरू जाने से कहने के लिए कौन रोक रहा है? पत्र में कहा गया है कि सीईओ अभी तक बेंगलुरू से काम नहीं संभाल रहे हैं। ऐसे में वह महीने में कम से कम दो बार बेंगलुरू से मुंबई जाते है। इससे उनके विमान किराये तथा स्थानीय परिवहन की लागत 22 लाख रुपए बैठती है।
पत्र में कहा गया है कि हर महीने चार बिजनेस श्रेणी के टिकट। साथ में मुंबई में घर से हवाई अड्डे तक ड्रॉपिंग और बेंगलुरू हवाई अड्डे से पिकअप। वापसी यात्रा के दौरान भी ऐसा होता है। यदि सीईओ को बेंगलुरू नहीं भेजा जाता है तो सभी खर्च सीईओ के वेतन से वसूल किया जाना चाहिए। पिछले महीने भी एक गोपनीय समूह ने खुद को कंपनी का कर्मचारी बताते हुए दावा किया था कि पारेख और कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी नीलांजन रॉय अनुचित तरीके के जरिये कंपनी की आमदनी और मुनाफे को बढ़ाकर दिखा रहे हैं। कंपनी फिलहाल इस मामले की जांच कर रही है।
शिकायत में कहा गया है कि पारेख ने गलत मंशा से बेंगलुरू में किराये पर मकान लिया है, जिससे कंपनी के बोर्ड और संस्थापकों को गुमराह किया जा सके। पत्र में कहा गया है कि यदि आप पारेख की बेंगलुरू यात्रा के रिकॉर्ड को देखेंगे तो पता चलेगा कि वह मुंबई बड़े आराम से जाते हैं और दोपहर को 1:30 बजे ही कार्यालय पहुंचते हैं। इसके बाद वह दोपहर को कार्यालय में रहते हैं और अगले दिन दो बजे मुंबई निकल जाते हैं। पत्र में कहा गया है कि इस कंपनी में सीईओ का काम के प्रति इस तरह का बरताव आज तक की तारीख का सबसे खराब उदाहरण है।