नई दिल्ली। उद्योग जगत और विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के तहत विभिन्न घोषणाओं खासकर बैंकों का वसूल नहीं हो रहे कर्ज के पुनर्गठन की छूट देने के निर्णय का स्वागत किया। केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार को बैंक प्रमुखों और उद्योग की मांग पर कंपनियों के लिये कर्ज पुनर्गठन की घोषणा की। उद्योग मंडल सीआईआई ने एक बयान में कहा कि उद्योगजगत सूझबूझ के साथ कर्ज पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने के आरबीआई के निर्णय से उत्साहित है। इसके तहत बैंकों को कंपनियों को दिये गये कर्ज के संदर्भ में सावधानी बरतते हुए पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने की अनुमति है। सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने यह भी कहा कि आरबीआई पहले ही रेपो दर में उल्लेखनीय कमी कर चुका है जिससे नकदी बढ़ी है। आज (बृहस्पतिवार) की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के निर्णय को समझा जा सकता है। मौद्रिक नीति के बारे में फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि उद्योग मंडल रिजर्व बैंक की कर्ज पुनर्गठन को लेकर की घोषणाओं का स्वागत करता है। केंद्रीय बैंक ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझणेले उद्यम) के लिये एक मार्च,2020 तक मानक श्रेणी (वैसा कर्ज जिसकी किस्त आ रही थी और जो एनपीए नहीं बना था) वाले ऋण के लिये मौद्रिक नीति में पुनर्गठन और समाधान रूपरेखा पर काम करने को लेकर के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की घोषणा की। रेड्डी ने कहा, ‘‘हमारा इसके ब्योरे और क्रियान्वयन को लेकर नजरिया काफी सकारात्मक है।’’
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आरबीआई ने दबाव वाले कर्जदाताओं के लिये पुनर्गठन रूपरेखा की घोषणा कर बड़ी राहत दी है। साथ ही इससे बैंकों को भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ आरबीआई ने कर्ज पुनर्गठन को लेकर नियम तय करने के लिये एक उच्च समिति के गठन की घोषणा कर कर्ज अनुशासन को रेखांकित किया है। उसने इसके जरिये साफ किया है कि पात्रता के लिये वित्तीय मानदंड का निर्धारण व्यक्तिगत बैंकों पर निर्भर नहीं करेगा।’’ सूद ने यह भी कहा कि सोना के बदले कर्ज की सीमा बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक करने से उन परिवारों को राहत मिलेगी जो आय कम होने से नकदी समस्या से जूझ रहे है। पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने रिजर्व बैंक के वैश्विक बाजार और घरेलू अर्थव्यवस्था में हाल की गतिविधियों को देखते हुए नरम रुख को बरकरार रखने के निर्णय की सराहना की। अग्रवाल ने कहा, ‘‘इस समय, हम बैंकों से यह आग्रह करेंगे कि आरबीआई ने व्यापार, उद्योग और उपभोक्ताओं को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने को लेकर पिछले चार महीनों में रेपो दर में जो 1.15 प्रतिशत की कटौती की है, वे उसका लाभ ग्राहकों को दें।’’ कपड़ा निर्यात संवधर्न परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि एमएसएमई कर्ज के पुनर्गठन के प्रावधान का विस्तार समय पर लिया गया निर्णय है क्योंकि हजारों की संख्या में छोटे एवं मझोले उद्यम गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। आरबीआई के इस कदम से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने आरबीआई के इन निर्णयों को संतुलित बताते हुए कहा कि इसमें यह स्पष्ट है कि कोविड19 के इस संकट में केंद्रीय बैंक ने कर्ज देने वालों और लेने वालों दानों की मदद करना चाह रहा है। गुप्ता ने कहा कि छोटी और मझोली इकाइयों के बारे में केवी कामथ सममित की रपट का सबको इंतजार रहेगा। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजबूमदार ने कहा कि आरबीआई ने सक्रियता दिखाते हुए एक संतुलित रुख अपनाया है जो हमारी उम्मीदों के अनुरूप है।