मुंबई। वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यातक गंभीर नगदी संकट से जूझ रहे हैं। जीएसटी नेटवर्क में आ रही दिक्कतों की वजह से उन्हें रिफंड मिलने में देरी हो रही है। ऐसे में उन्होंने वित्त मंत्रालय से पूर्व में मिल रही रियायतों को बहाल करने और रिफंड की प्रक्रिया को तेज करने की मांग की है।
निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो के तहत निर्यातकों ने आज वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और नई कर व्यवस्था की वजह से आ रहे मुद्दों को उनके समक्ष रखा। यह बैठक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि कर रिफंड में देरी की वजह से सबसे अधिक छोटे निर्यातक प्रभावित हुए हैं। इस वजह से उन्होंने नए ऑर्डर लेने बंद कर दिए हैं।
फियो ने आगाह किया है कि टाइल्स, हस्तशिल्प, परिधान और कृषि जिंसों के निर्यात में गिरावट आ सकती है, क्योंकि इन क्षेत्रों में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यातकों का दबदबा है। फियो ने बयान में कहा कि वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यातकों का कुल निर्यात में हिस्सा 30 प्रतिशत है और वे सिर्फ दो से चार प्रतिशत के मामूली मार्जिन पर काम करते हैं।
जीएसटी संग्रहण को लेकर चिंता सही नहीं : यूबीएस
शेयर बाजारों के शीर्ष स्तर से नीचे आने के मौजूदा करेक्शन से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण को लेकर निवेशकों में बेचैनी का संकेत मिलता है। ऐसे में एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी ने इस तरह की चिंताओं को कुछ जल्दबाजी करार दिया है। स्विस ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस सिक्योरिटीज ने आज कहा कि जीएसटी के तहत पूरे साल का कर संग्रहण बजटीय लक्ष्य के अनुरूप रह सकता है।
यूबीएस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल दर साल आधार पर आठ प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के अनुरूप वित्त वर्ष 2017-18 में मासिक जीएसटी संग्रहण से संकेत मिलता है कि यह सही दिशा में है। यूबीएस ने कहा कि जीएसटी के बाद निर्यातकों ने करीब 65,000 करोड़ के कर रिफंड का आवेदन किया है। इससे यह आशंका बनी है कि वास्तविक जीएसटी राजस्व संभवत: 95,000 करोड़ रुपए से कम ही रहेगा।