नई दिल्ली। आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि नोटबंदी के झटके से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए आगामी बजट में कुछ कदम लीक से हटकर उठाए जाने चाहिए। बाजार में मांग बढ़ाने के उपाय करने के साथ साथ व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए की जानी चाहिए। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नवंबर में नोटबंदी के असर से अर्थव्यवस्था पर थोड़े समय तक विपरीत प्रभाव रहेगा।
नोटबंदी का आर्थिक ग्रोथ पर दिखेगा असर
- आर्थिक वृद्धि दर एक प्रतिशत तक गिर सकती है।
- वर्ष 2015-16 में वृद्धि 7.6 प्रतिशत और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 7.2 प्रतिशत थी।
- विशेषज्ञों के अनुसार कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन इस बार बेहतर रहने की उम्मीद है इसलिए नोटबंदी से पड़ने वाले असर को यह कुछ कम करेगा।
उद्योग मंडल एसोचैम की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष निहाल कोठारी का अनुमान है कि 2016-17 में आर्थिक वृद्धि 6.5 से 7 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से खुदरा और लघु उद्योगों पर असर पड़ा है। बजट में उनके प्रोत्साहन के कुछ खास उपाय होने चाहिए।
- कोठारी मानते हैं कि व्यक्तिगत आयकर में छूट कुछ न कुछ बढाई जा सकती है।
- यह स्लैब में वृद्धि या दरों में कमी के रूप में हो सकती है।
- उपभोक्ता वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क दरों में भी कमी लाई जा सकती है।
टैक्स फ्री हो 5 लाख तक की कमाई
पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा ने कहा, लोगों की खर्च करने लायक आय बढ़नी चाहिये। पांच लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं लगना चाहिए। सालाना पांच लाख रपये अब नया सामान्य स्तर बन गया है। शर्मा ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिये केन्द्रीय योजना में छह प्रतिशत हिस्सा आवंटित होना चाहिये। कृषि क्षेत्र में काफी कुछ सुधार की जरूरत है। कृषि उत्पादक क्षेत्रों को सीधा मंडियों से जोड़ने की जरूरत है।
वर्तमान में ढाई लाख रुपए तक की आय कर मुक्त है जबकि ढाई से पांच लाख रुपए की आय पर 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपए की सालाना आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।
तस्वीरों के जरिए जानिए गोल्ड से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में पांच लाख रुपए तक की वार्षिक आय के दायरे में आने वाले करदाताओं को विशेष छूट के तहत 2,000 रपये की छूट को बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया था। इसके अलावा किराये पर रहने वाले करदाताओं के लिए जिन्हें नियोक्ता से किसी प्रकार का मकान भत्ता नहीं मिलता है, उनकी सालाना कर योग्य आय में से 24,000 रुपए की कटौती को बढ़ाकर 60,000 रुपए सालाना कर दिया था।