नई दिल्ली। भारतीय उद्योग का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को 20 फीसदी से कम रखा जाए। इसके अलावा दूरसंचार, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा और रेलवे जैसी सामाजिक भलाई की दृष्टि से महत्वपूर्ण सेवाओं की सूची में रखा जाए तकि महंगाई न बढ़े।
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, कोई भी कर सुधार तब तक सफल नहीं हो सकता है जबतक कि केंद्र और राज्यों दोनों के लिए पर्याप्त राजस्व सुनिश्चित न हो। इस तरह जीएसटी के मामले में राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) का निर्धारण कर संग्रहण के स्तर में उछाल को ध्यान में रख कर निकालना होगा। आरएनआर वह दर है जिसमें जीएसटी व्यवस्था में केंद्र और राज्यों को कोई राजस्व नुकसान नहीं होगा।
एसोचैम ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्य सीमा पर चुंगी और प्रवेश शुल्क समाप्त होने से परिचालन दक्षता सुधरेगी और इसका लेनदेन की लागत पर सकारात्मक असर होगा। रावत ने कहा, हमारे आकलन से पता चलता है कि उद्योग के लिए जीएसटी दर का दायरा 17 से 20 फीसदी होना चाहिए। इससे अधिक दर होने पर प्रतिकूल असर होगा और महंगाई बढ़ेगी। विशेष रूप से सेवाओं पर असर होगा। एसोचैम ने कहा कि अगले सात महीनों में युद्धस्तर पर काम किए जाने की जरूरत है, जिससे सामने आनी हर समस्या को दूर किया जा सके।