नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि उद्योग पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के बिना परिचालन नहीं कर सकते। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि राज्य के पास इस अनिवार्यता से छूट देने का कोई अधिकार नहीं है। एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि राज्य मुआवजे के भुगतान पर पर्यावरण मंजूरी के बिना इकाइयों को काम करने की अनुमति नहीं दे सकते। पीठ ने व्यवस्था दी कि पर्यावरण मंजूरी के बिना इकाइयों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्य के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है।
एनजीटी ने यह निष्कर्ष एनजीओ दस्तक द्वारा दायर अपील पर दिया है। दस्तक ने फॉर्मलडिहाइड के विनिर्माताओं को हरियाणा सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की थी। हरियाणा सरकार ने इन विनिर्माताओं को बिना ईसी के छह महीने के लिए काम करने की अनुमति दी थी। एनजीओ ने अपनी अपील में कहा था कि पर्यावरण मंजूरी जरूरी है और राज्य के पास इसकी छूट देने का कोई अधिकार नहीं है।
इससे पहले न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा था कि वो उद्योगों से निकले शोधित जल का इस्तेमाल सिंचाई एवं बागवानी में करने के दिशानिर्देशों को लागू किया जाए। ये आदेश भी एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। उद्योगों को पर्यावरण पर असर को देखते हुए एनजीटी लगातार कदम उठा रहा है, खासतौर पर उद्योगों से निकलने वाले दूषित पदार्थों को जल स्रोतों के मिलने की घटनाओं पर पूरी रोक के लिये एनजीटी कई आदेश दे चुका है।