नई दिल्ली। खनन और विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण जून महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर गिरकर दो प्रतिशत पर आ गई। आधिकारिक आंकड़ों में शुक्रवार को इसकी जानकारी दी गई। पिछले साल जून में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) सात प्रतिशत की दर से बढ़ा था। इससे पहले आईआईपी की वृद्धि का निचला स्तर फरवरी में 0.20 प्रतिशत रहा था। आईआईपी मार्च में 2.7 प्रतिशत, अप्रैल में 4.30 प्रतिशत और मई में 4.60 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।
सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की जून तिमाही में आईआईपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 5.10 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 3.
60 प्रतिशत पर आ गई। जून महीने में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले साल के इसी माह के 6.90 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 1.20 प्रतिशत पर आ गई। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में इस बार जून में 6.5 प्रतिशत का संकुचन देखा गया। पिछले साल जून में इसमें 9.70 प्रतिशत की तेजी रही थी।
बिजली उत्पादन की वृद्धि दर भी 8.50 प्रतिशत से घटकर 8.20 प्रतिशत पर आ गई। खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 6.50 प्रतिशत से कम होकर 1.60 प्रतिशत पर आ गई। उपभोक्ता आधारित वर्गीकरण को देखें तो प्राथमिक वस्तुओं में 0.5 प्रतिशत की तथा माध्यमिक वस्तुओं में 12.4 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली। निर्माण संबंधित वस्तुओं में 1.8 प्रतिशत का संकुचन हुआ। विनिर्माण क्षेत्र के 23 में से आठ औद्योगिक समूहों जून महीने में सकारात्मक वृद्धि रही।
वृद्धि तेज करने के उपायों पर सरकार, आरबीआई के विचार मिलते-जुलते
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योगपतियों को भरोसा दिलाया कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के विषय में भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की सोच में समानता है और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते से वह कर उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में उद्योगपतियों से मिलेंगी और तुंरत मौके पर शिकायतों का निवारण करेंगी।
सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कुछ सुस्ती के बावजूद भारत सबसे तेजी से उभरती हई अर्थव्यवस्था बनी हुई है। सरकार और आरबीआई आपस में तालमेल बैठाकर काम कर रहे हैं। यह व्यवस्था निवेश को प्रोत्साहित करने में मदद करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी प्रयास कर रहे हैं और इस संबंध में एक ही रास्ते पर हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई और सरकार के संबंधों में भारो और सौहार्द्र है। उन्होंने कहा कि सरकार कभी नहीं चाहेगी कि उद्योग क्षेत्र के लिए काई कठिनाई हो।