लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निर्मित एवं निर्माणाधीन सभी एक्सप्रेस-वे के निकट औद्योगिक गलियारे का विकास किया जाएगा। इसके लिए भूमि चिन्हित करने की जिम्मेदारी मण्डलायुक्त/जिलाधिकारियों को दी गई है। राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग ने यह जानकारी दी। विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने एक बयान में बुधवार को बताया कि यह गलियारा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुन्देखण्ड एक्सप्रेस-वे तथा राज्य के अन्य क्षेत्रों में विकसित हो रहे गलियारे के निकट पांच किलोमीटर की दूरी के अन्तर्गत स्थापित किये जायेंगे।
ग्राम सभा की पांच एकड़ से अधिक भूमि एक जगह उपलब्ध होने पर इसको छोटे औद्योगिक परिसर के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कि मिनी यानी छोटे औद्योगिक परिसर के विकास के लिए भूमि निःशुल्क उद्योग निदेशालय को उपलब्ध करायी जाएगी। इस क्षेत्र में 50 प्रतिशत भूखंड सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों (एमएसएमई) के लिए आरक्षित होंगे। प्रमुख सचिव ने बताया कि विकसित हो रहे एक्सप्रेस-वे के पांच किमी की परिधि में पांच एकड़ से अधिक ग्राम समाज की अनारक्षित भूमि उपलब्ध होने की दशा में उद्योग विभाग द्वारा प्रस्ताव जिलाधिकारी को भेजा जायेगा। जिलाधिकारी द्वारा प्राप्त प्रस्तावों को औद्योगिक परिसर विकसित करने के लिए संबंधित भूमि उद्योग निदेशालय को उपलब्ध करायी जायेगी।
सहगल ने बताया कि औद्योगिक परिसर तथा छोटे औद्योगिक परिसर को विकसित करने संबंधित भूमि के पुनर्ग्रहण के बारे में मण्डलायुक्त/जिलाधिकारियों तथा आयुक्त एवं निदेशक उद्योग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार छोटी इकाइयों, लघु उद्योगों एवं परंपरागत व्यवसायियों को उनके समीप भूमि उपलब्ध कराकर औद्योगीकरण को बढ़ावा देना चाहती है। इससे ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) उद्यमियों को भी पनपने का मौका मिलेगा।