नई दिल्ली। इंडोनेशिया ने भारत से चीनी खरीदने की इच्छा जताई है। लेकिन वह चाहता है कि भारत रिफाइंड पाम ऑयल तथा चीनी पर इंपोर्ट ड्यूटी को उल्लेखनीय रूप से घटाकर क्रमश: 45 और 5 प्रतिशत पर लाए। भारत का एक प्रतिनिधिमंडल इसी सप्ताह इंडोनेशिया जाने वाला है। यह प्रतिनिधिमंडल इन दो जिंसों के व्यापार पर बातचीत करेगा।
जहां भारत दुनिया का प्रमुख चीनी उत्पादक है और उसके पास निर्यात के लिए अधिशेष चीनी उपलब्ध है। वहीं दूसरी ओर इंडोनेशिया खाद्य तेल विशेषरूप से पाम तेल का प्रमुख उत्पादक है। सूत्रों ने बताया कि भारत की अधिशेष चीनी निर्यात को चीन और इंडोनेशिया सहित कई देशों से बातचीत चल रही है। इससे गन्ना मिलों को किसानों का गन्ने का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने कहा कि इंडोनेशिया सरकार ने सूचित किया है कि वह भारत के साथ पाम तेल और चीनी को लेकर द्विपक्षीय व्यवस्था के खिलाफ नहीं है, लेकिन व्यापार करने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव लाने में लंबा समय लगेगा। इंडोनेशिया ने भारत आसियान मुक्त व्यापार करार (एफटीए) के तहत व्यापार व्यवस्था का सुझाव दिया है, जिससे रिफाइंड पाम तेल और चीनी पर आयात शुल्क को घटाकर क्रमश: 45 और 5 प्रतिशत पर लाया जा सके।
इंडोनेशिया की दलील है कि भारत और मलेशिया के बीच वृहद आर्थिक भागीदारी करार (सीईसीए) अगले साल जनवरी से अस्तित्व में आएगा। इसके तहत भारत-आसियान एफटीए के तहत रिफाइंड तेल पर तरजीही आयात शुल्क 45 प्रतिशत पर लाने की व्यवस्था है, जो 50 प्रतिशत है।
फिलहाल भारत रिफाइंड पाम तेल पर 54 प्रतिशत, कच्चे पाम तेल पर 44 प्रतिशत तथा चीनी पर 100 प्रतिशत का शुल्क लगाता है।
भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सालाना आधार पर 1.4 से 1.5 करोड़ टन वनस्पति तेलों (खाद्य और गैर खाद्य तेल) का आयात करता है। भारत पाम तेल का आयात इंडोनेशिया और मलेशिया से करता है, जबकि वह सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से खरीदता है। वहीं चीनी के मामले में रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से भारत के पास एक करोड़ टन का अधिशेष भंडार है। इस साल भी बंपर चीनी उत्पादन की उम्मीद है। अब तक 8,00,000 टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। 2017-18 विपणन वर्ष में देश में 3.25 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था।