नयी दिल्ली। सालाना 13 लाख रुपए से अधिक वेतन और विभिन्न निवेश उपायों के जरिये दो लाख रुपए तक की कटौती पाने वाले व्यक्तियों को प्रस्तावित नई कर व्यवस्था अपनाने से कर भुगतान में लाभ हो सकता है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। वहीं 12 लाख रुपए से कम वेतन और दो लाख रुपए तक की कटौती पाने वाले वेतनभोगी तबके के लिये पुरानी कर व्यवस्था ही फायदेमंद होगी। उन्हें पुरानी व्यवस्था में कम कर देना होगा।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 5.78 करोड़ करदाताओं में से 5.3 करोड़ के करीब करदाता दो लाख रुपए से कम की कर छूट अथवा कटौती का दावा करते हैं। यह छूट मानक कटौती, भविष्य निधि, आवास रिण के ब्याज, राष्ट्रीय पेंशन योजना में योगदान, जीवन बीमा प्रीमियम के भुगतान, चिकित्सा बीमा प्रीमियम आदि पर मिलने वाली कटौती के तहत उपलब्ध होती है। इसका सीध मतलब यह निकलता है कि वास्तव में 90 प्रतिशत के करीब व्यक्तिगत करदाता दो लाख रुपए से कम कर कटौती का दावा करते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को 2020- 21 का आम बजट पेश करते हुये आयकर दाताओं क लिये नई सात स्लैब वाली कर व्यवस्था का विकल्प दिया है। नई कर व्यवस्था अपनाने वालों को वर्तमान में उपलब्ध कई रियायतें और छूट उपलब्ध नहीं होगी। सूत्रों ने बताया कि सालाना 13 लाख रुपये अथवा इससे अधिक की कमाई करने वाले व्यक्ति को प्रस्तावित नये कर ढांचे में 1.43 लाख रुपए का कर देना होगा जबकि मौजूदा पुरानी व्यवस्था में उसकी 1.48 लाख रुपए की कर देनदारी बनेगी। इस प्रकार नई व्यवस्था में उसे 5,200 रुपए की बचत होगी।
वहीं 14 लाख रुपए सालाना वेतन पर नई व्यवस्था में 10,400 रुपए और 15 लाख तथा इससे अधिक के वेतन पर 15,600 रुपए की बचत होगी। इस गणना में व्यक्तियों द्वारा दो लाख रुपए तक की विभिन्न बचतों पर कटौती का दावा भी शामिल किया गया है। सूत्रों ने कहा कि गैर-वेतनभोगी व्यक्तियों में जिन्हें 50 हजार रुपए की मानक कटौती नहीं मिलती है। उनमें सालाना 9.5 लाख रुपए की कमाई करने वाले और डेढ़ लाख रुपए तक कटौती का लाभ उठाने वाले व्यक्तियों के लिये नई कर व्यवस्था में 5,200 रुपए तक का फायदा मिल सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नये कर ढांचे में मौजूदा 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत आयकर दरों के अलावा 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 25 प्रतिशत के तीन नये स्लैब जोड़े हैं। दोनों ही व्यवस्थाओं में ढाई लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त रखा गया है। हालांकि, वित्त मंत्री का कहना है कि दोनों व्यवस्थाओं में पांच लाख रुपए तक की कर योग्य आय होने पर कर नहीं देना होगा।