नई दिल्ली। करीब आठ साल पहले 2008 की वैश्विक मंदी के बाद से भारत में वेतन वृद्धि मात्र 0.2 फीसदी रही है, वहीं समीक्षाधीन अवधि में चीन ने सबसे अधिक 10.6 फीसदी की वेतनवृद्धि दर्ज की है। हे ग्रुप के विभाग कॉर्न फेरी के ताजा विश्लेषण के अनुसार इस अवधि में वास्तविक आधार पर भारत में वेतनवृद्धि मात्र 0.2 फीसदी रही है, जबकि इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 63.8 फीसदी की वृद्धि हुई है।
समीक्षाधीन अवधि में वास्तविक वेतनवृद्धि में चीन, इंडोनेशिया और मेक्सिको सबसे आगे रहे हैं। इनकी वेतनवृद्धि क्रमश: 10.6 फीसदी, 9.3 फीसदी तथा 8.9 फीसदी रही है। वहीं कुछ अन्य उभरते बाजारों मसलन तुर्की, अर्जेंटीना, रूस और ब्राजील की स्थिति इस मामले में काफी खराब रही है। इन देशों की वास्तविक वेतनवृद्धि क्रमश: नकारात्मक 34.4 फीसदी, नकारात्मक 18.6 फीसदी, नकारात्मक 17.1 फीसदी तथा नकारात्मक 15.3 फीसदी रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर उभरते जी-20 बाजार या तो एक तरफ या दूसरी तरफ रहे हैं। यानी या तो वहां सबसे अधिक वेतनवृद्धि हुई या सबसे कम। हालांकि, भारत इनके बीच खड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वेतनवृद्धि सबसे अधिक असमान रही है।