मुंबई। भारत की सोने की मांग इस साल दूसरी तिमाही में 18 फीसदी घटकर 131 टन रही। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सोने की कीमत में बढ़ोतरी, सरकारी नियमों और जौहरियों की हड़ताल के कारण मांग घटी है। पिछले साल इसी तिमाही में मांग 159.8 टन थी। मूल्य के लिहाज से अप्रैल-जून तिमाही में भारत की सोने की मांग 8.7 फीसदी घट कर 35,500 करोड़ रुपए हो गई जो 2015 की इसी तिमाही में 38,890 करोड़ रुपए थी।
भारत में डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने कहा, देश में उपभोक्ता मांग घटी क्योंकि जौहरियों की हड़ताल अप्रैल में भी जारी रही और यह कमोबेश अक्षय तृतीया चलती रही जबकि इस पर्व पर सोने की खरीद शुभ मानी जाती है। उन्होंने कहा, हालाकि उच्च मूल्य और सोना खरीद पर पैन कार्ड व टीडीएस आदि की शर्त, जेवरात पर उत्पाद शुल्क, ग्रामीण आय में नरमी के कारण मांग भी दबी रही। समीक्षाधीन अवधि में भारत में कुल जेवरात की मांग 20 प्रतिशत घटकर 97.9 टन रही जो 2015 की इसी तिमाही के दौरान 122.1 टन थी।
जून की तिमाही में मूल्य के हिसाब से जेवरात की मांग 10.8 प्रतिशत घटकर 26,520 करोड़ रुपए रही जो 2015 की दूसरी तिमाही में 29,720 करोड़ रुपए की थी। दूसरी तिमाही के दौरान कुल निवेश मांग 12 प्रतिशत गिरकर 33.1 टन रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 37.7 टन थी। मूल्य के लिहाज से सोने की निवेश मांग जून 2016 की तिमाही में 2.1 प्रतिशत घटकर 8,980 करोड़ रुपए रही जो 2015 की दूसरी तिमाही में 9,170 करोड़ रुपए थी। रिपोर्ट के मुताबिक समीक्षाधीन अवधि में सोने का कुल पुनर्चक्रण भी घटकर 23.8 टन रह गया जो पिछले साल की इसी अवधि में 24 टन था।
सोमसुंदरम ने कहा कि दूसरी तिमाही में देश में सोने के गैरकानूनी प्रवाह में बढ़ोतरी हुई जिससे संगठित स्वर्ण उद्योग का कारोबार और कर अनुपालन प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा, दूसरी तिमाही में अघोषित कारोबार में करीब 40-45 टन सोने का प्रवाह हुआ। उन्होंने कहा कि इस साल की पहली छमाही में आयात 38 प्रतिशत गिरकर 291 टन रहा जो पिछले साल की इसी अवधि में 470 टन था। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इस साल के आखिरी चार महीनों विशेष तौर पर सितंबर की अंत में आयात में बढ़ोतरी होगी ताकि त्योहारी तथा शादी की मांग पूरी की जा सके।