नई दिल्ली। कमजोर मांग की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी का फायदा भारत को इस साल तेल आयात बिल में 35 फीसदी कमी के रूप में मिल सकता है। चालू वित्त वर्ष में भारत का तेल आयात खर्च 35 फीसदी कमी के साथ 73 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। 2014-15 में भारत ने 18.943 करोड़ टन क्रूड ऑयल का आयात किया था, जिसकी लागत 6.87 लाख करोड़ रुपए थी। चालू वित्त वर्ष में 18.823 करोड़ टन क्रूड ऑयल आयात होने की उम्मीद है, जो कि पिछले साल के लगभग समान स्तर पर ही है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-अक्टूबर 2015 के दौरान 11.49 करोड़ टन क्रूड ऑयल का आयात किया जा चुका है, जिसकी कीमत 43.6 अरब डॉलर है। अभी जो ट्रेंड चल रहा है उसके आधार पर पीपीएसी ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 18.823 करोड़ टन क्रूड ऑयल का आयात होगा और इसकी लागत 73.28 अरब डॉलर (4.73 लाख करोड़ रुपए) रह सकती है। अधिकारियों ने कहा है कि अप्रैल-अक्टूबर 2015 का आयात वास्तविक है। नवंबर 2015 से मार्च 2016 तक के आयात का अनुमान क्रूड की कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल और एक्सचेंज रेट 65 रुपए प्रति डॉलर के आधार पर लगाया गया है।
मसाला बांड से भारतीय कंपनियां जुटा सकती हैं 5 अरब डॉलर
भारतीय कंपनियां मसाला बांड के रूप में चर्चित विदेशों में जारी रुपए में अंकित बांड के जरिये तीन साल में पांच अरब डॉलर तक की राशि जुटा सकती हैं। लेकिन इसकी सफलता कीमत और इनके प्रतिफल पर निर्भर करेगा। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स रेटिंग सर्विसेज ने इन बांड की सफलता की संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट दि सक्सेस ऑफ मसाला बांड विल डेपेन्ड ऑन सेटिसफाइंग इंटरनेशनल इनवेस्टर्स पैलेट में कहा है कि तरलता को लेकर अनिश्चितता, घरेलू बाजार में रुपया बांड में निवेश का मौजूदा विकल्प तथा मुद्रा जोखिम को लेकर इन बांडों के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हो सकता है। पर कंपनियां अगर इन चुनौतियों से पार पा लेती हैं तो मसाला बांड के जरिये अगले दो से तीन साल में वे 5 अरब डॉलर तक की राशि जुटा सकती हैं। एसएंडपी के अनुसार रुपए में अंकित बांड विदेशों में जारी करने के लिहाज से बाजार अभी शुरूआती अवस्था में है। यह कंपनियों के लिए वित्त पोषण का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।