नई दिल्ली। भारत द्वारा हाल ही में वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने का कानून देश की लेदर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिए बुरी खबर है। 27 मई को पर्यावरण मंत्रालय ने वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री (इसमें गाय, सांड, बैल, भैंस, बछड़े, ऊंट शामिल हैं) पर रोक लगाने की अधिसूचना जारी की है।
सरकार के इस कदम से भारत की 37,688 करोड़ रुपए (5.6 अरब डॉलर) की चमड़ा एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में कच्चे माल की आपूर्ति और सप्लाई चेन प्रभावित होगी। इसमें मार्क्स एंड स्पेंसर, इंडीटेक्स (जारा की मालिक), मैंगो, केननेथ कोल और अरमानी सहित कई ऐसे प्रमुख खरीदार हैं, जो भारत से चमड़ा खरीदते हैं।
इस समय इंडस्ट्री के पास कुछ महीनों के लिए कच्चे माल का स्टॉक है, ट्रेडर्स को उस समय कच्चे माल की कमी से जूझना पड़ सकता है, जब वह आने वाली सर्दियों के सीजन के लिए अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर को पूरा करने के लिए दिन-रात काम करते हैं। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट में फिनिश्ड लेदर गुड्स के अध्यक्ष मोहम्मद जिया नफीस ने बताया कि उनके पास मार्क्स एंड स्पेंसर के लंदन ऑफिस से फोन आया। वहां के अधिकारी ने पूछा कि इस अधिसूचना के बाद वह एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाएंगे। मैंने उन्हें अपनी तरफ से संतुष्ट करने की कोशिश की। लेकिन मुझे आशंका है कि वह मेरी बात से सहमत हुआ है। अन्य ब्रांड जैसे गूची, जारा और नाइन वेस्ट ने भी इस संबंध में पूछताछ शुरू कर दी है।
लेदर एक्सपोर्टर्स का कहना है कि सरकार द्वारा नया नियम बनाने से पहले उनसे कोई बातचीत नहीं की गई। इसलिए वे अब केंद्र व राज्य सरकार को नए नियमों में संशोधन करने के लिए अपनी सिफारिशें तैयार कर रहे हैं, विशेषकर भैंस को इस नियम से बाहर करने के लिए।