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भारत में सबसे ज्‍यादा फायदेवाली रिटेल चेन का संचालन करती है सेना, अंबानी, बिड़ला और बियानी हैं पीछे

सेना द्वारा संचालित सीएसडी देशभर में 3,900 स्‍टोर का संचालन करता है और वित्‍त वर्ष 2014-15 में इसने 236 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: August 20, 2016 11:16 IST
नई दिल्‍ली। रिटेल चेन में पैसा कैसे बनाते हैं यह देश के टॉप रिटेलर्स को भारतीय सेना से सीखना चाहिए। भारतीय रक्षा मंत्रालय का कैंटीन स्‍टोर डिपार्टमेंट (सीएसडी) देशभर में 3,900 स्‍टोर का संचालन करता है और वित्‍त वर्ष 2014-15 में इसने 236 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है। इसी समय किशोर बियानी के नेतृत्‍व वाले फ्यूचर रिटेल, जो बिग बाजार और ई-जोन जैसे सुरपमार्केट चेन का संचालन करती है, ने 153 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के नेतृत्‍व वाले रिलायंस रिटेल का मुनाफा इस दौरान 159 करोड़ रुपए रहा।

सीएसडी स्‍टोर केवल 1 फीसदी ऑपरेटिंग मार्जिन पर काम करते हैं, वहीं दूसरी ओर प्राइवेट रिटेलर 8 से 18 फीसदी के बीच ऑपरेटिंग मार्जिन पर कारोबार करते हैं। सीएसडी कैंटीन लाभ न कमाने के आधार पर काम करती हैं, लेकिन इनकी बिक्री बहुत ज्‍यादा है। 2014-15 में सीएसडी स्‍टोर का कुल टर्नओवर 13,709 करोड़ रुपए रहा, वहीं रिलायंस रिटेल का कुल टर्नओवर 17,640 करोड़ और फ्यूचर रिटेल का 11,149.87 करोड़ रुपए रहा। सीएसडी स्‍टोर की बेहतर लाभ कमाने की मुख्‍य वजह निम्‍न कर्मचारी लागत है।

कंसल्टिंग फर्म थर्ड आईसाइट के सीईओ देवांगशु दत्‍ता कहते हैं कि सीएसडी के ऊपर दो प्रमुख ऑपरेशनल कॉस्‍ट का भार नहीं है, जो प्रमुख प्राइवेट रिटेलर के ऊपर बहुत ज्‍यादा है- यह हैं रियल एस्‍टेट और विज्ञापन। इसलिए सीएसडी स्‍टोर की स्‍थापना ऐसी जगह की जाती है, जो सैनिकों की पहुंच में हो। इनकी स्‍थापना कैंट एरिया में होती है और यह कमर्शियल लोकेशन जैसे मॉल या बाजार में नहीं होती हैं। प्राइवेट रिटेलर्स की तुलना में इनके कर्मचारियों और ट्रैनिंग लागत भी बहुत कम है। इनका प्रबंधन सेना के ही कर्मचारी करते हैं।

सीएसडी स्‍टोर बड़ी कंज्‍यूमर गुड कंपनियों के टर्नओवर में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। वास्‍तव में, सीएसडी कैंटीन से होने वाली बिक्री इन बड़ी कंपनियों के बिजनेस में 5 से 7 फीसदी का योगदान देती है। उदाहरण के लिए, देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्‍तान यूनीलिवर के लिए साउथ एशिया में सीएसडी सबसे बड़ा उपभोक्‍ता है। शराब कंपनी युनाइटेड स्प्रिट्स के लिए भी सीएसडी स्‍टोर सबसे बड़ा उपभोक्‍ता है।

सीएसडी कैंटीन क्‍यों?

सीएसडी कैंटीन की स्‍थापना 1948 में एक ऐसे स्‍टोर के रूप में की गई थी, जिन तक पहुंच आसान हो और यहां गुणवत्‍ता पूर्ण दैनिक उपयोग की चीजें बाजार कीमत से कम दाम पर उपलब्‍ध हों। इनके ग्राहक थल सेना, वायु सेना और जल सेना के सैनिक, सेवानिवृत्‍त सैनिक और उनके परिवार हैं। यह स्‍टोर युद्ध और प्राकृतिक आपदा के समय भी भारतीय सेना को अपनी सेवाएं मुहैया कराते हैं।

उदाहरण के लिए भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाक युद्ध (1965) के दौरान सीएसडी कैंटीन ने भारतीय सेना को चीजों की आसान आपूर्ति को सुनिश्चित किया था। 1970 में स्‍टोर की संख्‍या बढ़ाई गई। रक्षा मंत्रालय ने इनके प्रबंधन के लिए एक संगठित ढांचे को मंजूरी दी। वर्तमान में सीएसडी के तकरीबन 2400 कर्मचारी हैं। यह स्‍टोर एक साल में 1.2 करोड़ उपभोक्‍ताओं को 4500 से ज्‍यादा उत्‍पादों की पेशकश करते हैं। यहां टीवी, ऑडिया व वीडियो सिस्‍टम, रेफ्रि‍जरेटर, साबुन, शैम्‍पू, शराब और यहां तक की कार व मोटरसाइकिल भी बिकती हैं। इनकी कीमत बाजार मूल्‍य से कम होती है। सीएसडी की कुल बिक्री में 26 फीसदी हिस्‍सा अकेले शराब का है इसके बाद दूसरा स्‍थान टॉयलेटरीज (प्रसाधन सामग्री) का है।

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