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अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार चार महीने के निचले स्तर पर

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अप्रैल में चार महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई। एक सर्वे के अनुसार इसका कारण अप्रैल में नए आर्डर का स्थिर होना है।

Dharmender Chaudhary
Published on: May 02, 2016 12:30 IST
अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार चार महीने के निचले स्तर पर, कंपनियों को नहीं मिले नए ऑर्डर्स- India TV Paisa
अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार चार महीने के निचले स्तर पर, कंपनियों को नहीं मिले नए ऑर्डर्स

नई दिल्ली। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अप्रैल में चार महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई। एक सर्वे के अनुसार इसका कारण अप्रैल में नए आर्डर का स्थिर होना है। इससे पहले मार्च महीने में इसमें मजबूती दर्ज की गई थी। इससे रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों को नीचे रखने का दबाव बनेगा। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के प्रदर्शन का समग्र संकेत देने वाला निक्की इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में घटकर 50.5 पर आ गया, जो मार्च महीने में 52.4 था। यह पिछले चार महीने में व्यापार स्थिति में सबसे कमजोर सुधार का संकेत देता है। पीएमआई का 50 से ऊपर होना विस्तार का संकेत है जबकि इससे नीचे यह गिरावट को बताता है।

रिपोर्ट के लेखक और मार्किट के अर्थशास्त्री पॉलीयाना डी लीमा ने कहा, भारत के लिए पीएमआई आंकड़ा उत्पादन विस्तार में नरमी को बताता है। मार्च महीने में मजबूत वृद्धि के बाद यह गिरावट दर्ज की गई है, जो यह संकेत देता है कि नए कार्यों के मामले में ग्रोथ थम सी गई है। लगातार तीन महीने अच्छी वृद्धि के बाद अप्रैल महीने में घरेलू विनिर्माताओं ने नए ऑर्डर में लगभग स्थिरता देखी। हालांकि विदेशी बाजारों से नए ऑर्डर में लगातार ग्रोथ देखी गई लेकिन नए निर्यात ऑर्डर्स के विस्तार में गति अक्टूबर से धीमी देखी जा रही है।

रोजगार के संदर्भ में सर्वे में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नियुक्ति लगभग स्थिर बनी हुई है और पिछले दो साल से लगभग यही प्रवृत्ति है। कीमत मोर्चे पर कच्चे माल की लागत में 11 महीने में तीव्र गति से बढ़ोतरी हुई जबकि मुद्रास्फीति मार्च से नरम हुई है। लीमा ने कहा, उत्पादन के मूल्य में कुल मिलाकर हल्की वृद्धि मजबूत प्रतिस्पर्धी माहौल को बताती है क्योंकि लागत महंगाई दर  में वास्तव में मई 2015 से तेज बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती की और नकदी बढ़ाने के लिए कई अन्य उपाय किए। हालांकि उद्योग निवेश में वृद्धि के लिए केंद्रीय बैंक से नीतिगत दर में और कटौती चाहता है।

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