लंदन। सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने के क्रम में भारत विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक बनने के रास्ते पर चल रहा है, क्योंकि छह वर्षों से कम समय में इसने 6,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की है, जो पहले 10 मेगावाट थी। सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाली कोलकाता की कंपनी, विक्रम सोलर का मानना है कि सरकार के महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) से भारत की इस क्षेत्र में तरक्की करने की मजबूत प्रतिबद्धता जाहिर होती है।
हाल ही में अपनी लंदन यात्रा पर आए कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानेश चौधरी ने कहा, 2010 में भारत की स्थापित सौर क्षमता 10 मेगावाट थी और तेजी से बढ़ते हुए 2016 में अब हम 6,000 मेगावाट के स्तर पर हैं।
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छह साल से भी कम समय में हमने इस बड़े अंतर को पीछे छोड़ा है, इसलिए मुझे इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि भारत विश्व में सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने वाले देशों में से एक होगा और हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत पहले ही शीर्ष पांच देशों में से एक है। सौर मिशन और मेक इन इंडिया दोनों ही एक अच्छा गठजोड़ हैं। हमें इन्हें मिलाना चाहिए और लक्ष्यों को सफल बनाना चाहिए।
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