नई दिल्ली। भारत में महिलाओं को पुरुषों के बराबर मौका दिया जाए तो देश की इकनॉमिक ग्रोथ रफ्तार पकड़ सकती है। मैंकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक अगर जेंडर गैप खत्म करने पर जोर दिया जाए तो देश के जीडीपी में 2025 तक 46 लाख करोड़ रुपए जुड़ सकते हैं। ऐसा होने पर भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ रेट 1.4 फीसदी तक बढ़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि जेंडर समानता को बढ़ावा देने से दुनियाभर की आर्थिक ग्रोथ बढ़ेगी। इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा।
जेंडर समानता से बढ़ेगा देश
एमजीआई की ‘द पॉवर ऑफ पैरिटी: एडवांसिंग वुमेंस इक्वेलिटी इन इंडिया नामक रिपोर्ट के मुताबिक जेंडर गैप को खत्म करने का बड़ा असर भारतीय अर्थव्यवस्था में दिखेगा। इससे भारत अपनी सालाना इंक्रीमेंटल जीडीपी ग्रोथ में 1.40 फीसदी का इजाफा कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेंडर समानता से भारत ही नहीं पूरी दुनिया के डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन, सबसे ज्यादा फायदा भारत को होगा। जेंडर गैप को खत्म करने के लिए लिए सभी को मिलकर परिवर्तन के लिए एक नेशनल एजेंडा बनाना होगा।
अगले 10 साल में 10 फीसदी बढ़ेगा महिलाओं का वर्कफोर्स
रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश में प्रमुख लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 31 फीसदी के आसपास है, जो कि 2025 तक बढ़कर 41 फीसदी होने की संभावना है। इसका मतलब है कि इस दौरान 6.8 करोड़ और महिलाएं मुख्य धारा में आएंगी। जेंडर गैप कम होने से देश की जीडीपी में 2025 तक 46 लाख करोड़ रुपए जुड़ सकते हैं। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि जेंडर गैप को खत्म करना इतना आसान नहीं है, इसके लिए सामाजिक दृष्टिकोण और सोच में बदलाव आना जरूरी है।
अभी जीडीपी में महिलाओं का योगदान महज 17 फीसदी
मैंकिंजी एंड कंपनी के डायरेक्टर (इंडिया) रजत गुप्ता ने कहा कि भारत की जीडीपी में अभी महिलाओं का 17 फीसदी योगदान है, जो कि ग्लोबल एवरेज 37 फीसदी से काफी कम है। साथ ही एमजीआई ने जिन 10 देशों की रिसर्च के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, उनमें भी भारत में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम है। मैंकिंजी के डाटासेट में आने वाले 95 देशों में मात्र 26 देशों की प्रतिव्यक्ति जीडीपी और मानव विकास सूचकांक भारत से कम है, लेकिन इनमें से भी कई देश जेंडर समानता के मामले में भारत से आगे हैं।