रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि के बारे में उक्त पूर्वानुमान उच्च निजी व सार्वजनिक खपत और बुनियादी ढांचा खर्च में बढोतरी के मद्देनजर व्यक्त किया गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले महीने कहा था कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में 7.2 प्रतिशत रहेगी जबकि अगले वित्त वर्ष में इसके 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इस्केप का कहना है, इस बीच मुद्रास्फीति दर 2017 व 2018 में 5.3-5.5 प्रतिशत रहना अनुमानित है जो कि 4.5-5 प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य से कहीं अधिक है। रिपोर्ट में सार्वजनिक बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों का भी जिक्र किया गया है और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की जरूरत को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि सरकार के नोटबंदी का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।