मुंबई। भारत का फॉरेक्स रिजर्व पिछले चार हफ्तों के दौरान 4.624 अरब डॉलर बढ़ा है, जिससे सरकार के लिए ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन और उभरते बाजारें से पूंजी निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का डर कम हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार देश के विदेशी मुद्रा भंडार 12 फरवरी को समाप्त सप्ताह में 34.72 करोड़ डॉलर बढ़कर 351.831 अरब डॉलर का हो गया, जिसमें बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में वृद्धि होना है। इसके पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.332 अरब डॉलर बढ़कर 351.484 अरब डॉलर हो गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रा भंडार में वैश्विक मुद्राओं जैसे यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और येन में तेजी की वजह से मुद्रा भंडार की वैल्यू में इजाफा हुआ है। रिजर्व बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.581 अरब डॉलर बढ़कर 330.019 अरब डॉलर की हो गईं। डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियां भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसी गैर अमेरिकी मुद्राओं की मूल्यवृद्धि और मूल्य में गिरावट के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करती हैं।
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गोल्ड रिजर्व 17.696 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में समीक्षाधीन सप्ताह में देश का विशेष निकासी अधिकार 2.15 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.061 अरब डॉलर हो गया, जबकि आईएमएफ में देश का आरक्षित फंड गिर कर 5.42 करोड़ डॉलर रह गया। वहीं दूसरी ओर भारतीय रुपया अपने दो साल के निम्न स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 68.80 के स्तर पर बंद हुआ। चीन में आर्थिक मंदी गहराने की चिंता के बीच 20 जनवरी को भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले 68 का स्तर पार किया था। इससे पहले भारतीय रुपए ने यह स्तर 2013 में पार किया था, जब यूएस फेडरल रिजर्व ने क्वांटेटिव ईजिंग प्रोग्राम की घोषणा कर दुनियाभर के बाजारों को हिला दिया था। पिछले 13 महीने के दौरान चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में 612 अरब डॉलर (16 फीसदी) की कमी आ चुकी है।