मुंबई। एक बार फिर देश का विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया है। पिछले पांच हफ्तों से इसमें लगातार गिरावट आ रही थी लेकिन 24 नवंबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.208 अरब डॉलर बढ़कर 400.741 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24.04 करोड़ डॉलर बढ़कर 399.533 अरब डॉलर हो गया था।
हाल ही में मूडीज और एसएंडपी द्वारा भारत की रेटिंग में सुधार करना इस वृद्धि के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक का कहना है कि विदेशी मुद्रा आस्तियों में तेजी आने के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है। समीक्षाघीन सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, यानी विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 12.08 अरब डॉलर बढ़कर 376.304 अरब डॉलर हो गईं। अमेरिकी डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले एफसीए में मुद्राभंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्राओं की तेजी व अवमूल्यन के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
स्वर्ण आरक्षित भंडार 20.666 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित बना रहा। रिजर्व बैंक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार एक लाख डॉलर घटकर 1.497 अरब डॉलर रह गया। इसने कहा है कि आईएमएफ में देश का मुद्रा भंडार भी दो लाख डॉलर घटकर 2.272 अरब डॉलर रह गया।
डीबीएस ग्रुप का कहना है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी अंतरराष्ट्रीय संकट से निपटने के लिए पर्याप्त है। मौजूदा मुद्रा भंडार 11 महीने तक के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इससे पहले अप्रैल 2007 में मुद्रा भंडार 200 अरब डॉलर था और इसे 300 अरब डॉलर तक पहुंचने में केवल 11 महीने का समय लगा। फरवरी 2008 में इसने 300 अरब डॉलर का स्तर छू लिया था।