Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. रूस और कनाडा की GDP से ज्‍यादा है भारत के पास जंगल, भारतीय वन संपत्ति का मूल्‍य है 115 लाख करोड़ रुपए

रूस और कनाडा की GDP से ज्‍यादा है भारत के पास जंगल, भारतीय वन संपत्ति का मूल्‍य है 115 लाख करोड़ रुपए

भारत ने अपनी वन संपत्ति और जंगलों का वित्‍तीय मूल्‍याकंन करने का फैसला किया है और इसका मूल्‍याकंन 115 लाख करोड़ रुपए (1.7 लाख करोड़ डॉलर) आंका गया है।

Ankit Tyagi
Published : September 11, 2016 9:09 IST
Not Be Enough: रुस और कनाडा की GDP से बड़ी भारत की जंगल इकोनॉमी, कुल वैल्यू 115 लाख करोड़ रुपए
Not Be Enough: रुस और कनाडा की GDP से बड़ी भारत की जंगल इकोनॉमी, कुल वैल्यू 115 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्‍ली। भारत ने अपनी वन संपत्ति और जंगलों का वित्‍तीय मूल्‍याकंन करने का फैसला किया है और इसका मूल्‍याकंन 115 लाख करोड़ रुपए (1.7 लाख करोड़ डॉलर) आंका गया है। यह आंकड़ा भारत की जीडीपी से तो कम है, लेकिन यह कनाडा, कोरिया, मेक्सिको या रूस जैसे देशों की जीडीपी से कहीं ज्‍यादा है। भारत सरकार द्वारा 2013 में गठित किए गए विशेषज्ञों एक पैनल ने यह मूल्‍याकंन किया है। सरकार ने इस पैनल से वन भूमि का मूल्‍याकंन नेट प्रजेंट वैल्‍यू (एनपीवी) पर तय करने के लिए कहा था, इसमें वो सभी वन भूमि शामिल की गई है जिसे इंडस्ट्रियल या कंस्‍ट्रक्‍शन उद्देश्‍य के लिए परिवर्तित किया गया है।

इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ फॉरेस्‍ट मैनेजमेंट के प्रोफेसर और इस रिपोर्ट कौ तैयार करने के लिए गठित पैनल की सदस्‍य मधु वर्मा कहती हैं कि वन भूमि के मूल्‍याकंन को लोगों के सामने रखने से लोग इसकी चिंता (वन भूमि के परिवतर्नन से जुड़े मामलों पर) गंभीरता से करेंगे। भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने कमेटी की इस रिपोर्ट को अपनी मंजूरी दे दी है।

1980 से अब तक भारत सरकार 12.9 करोड़ हेक्‍टेयर वन भूमि के गैर-वन उद्देश्‍य के लिए डायवर्जन को अनुमति दे चुकी है। भारत में 7 लाख वर्ग किलोमीटर का कुल वन क्षेत्र है, जो पिछले दो सालों में 0.54 फीसदी की दर से बढ़ा है। इस नई रिपोर्ट में प्रति हेक्‍टेयर एनपीवी 9.87 लाख रुपए से 55.55 लाख रुपए के बीच तय की गई है।

भारतीय वनों की सुरक्षा है जरूरी

भारत में, प्राइवेट कंपनियां और अन्‍य संस्‍थाएं वन भूमि पर प्रोजेक्‍ट लगाने की अनुमति के बदले सरकार को शुल्‍क का भुगतान करती हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक, कंपनियों को वन भूमि का उपयोग करने के लिए नेट प्रजेंट वैल्‍यू के इतर वनीकरण के प्रतिपूरक के रूप में राशि जमा करने को कहा जाता है। यह राशि एक कॉमन सरकारी पूल में जमा किया जाता है, जहां से धन राज्‍यों को विभिन्‍न वनीकरण योजनाओं के लिए उपलब्‍ध कराया जाता है।

मई में नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रतिपूरक वनीकरण नियम में प्रमुख बदलाव करने का निर्णय लिया। नया कानून भारत के वन क्षेत्र को 21.34 फीसदी से बढ़ाकर 33 फीसदी करने में बहुत मददगार होगा। इस नए कानून में यह भी कहा गया है कि कॉमन पूल से 90 फीसदी राशि राज्‍यों को उपलब्‍ध कराई जाएगी, जबकि शेष राशि केंद्र सरकार के पास रहेगी। लेकिन यह भी वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए पर्याप्‍त नहीं होगा। वर्मा का कहना है कि आप वनों को रिप्‍लेस नहीं कर सकते। यह कोई उत्‍पादन नहीं है जिसे किसी चीज के बदले बाजार में बेचा जा सकता है।

जंगल के विस्‍तार पर भारत खर्च करेगा 41,000 करोड़ रुपए  

मोदी सरकार ने भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए 41,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है। इसके लिए प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक-2015 को लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है। अब इसे राज्‍यसभा से पारित कराना शेष बचा है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement