नई दिल्ली। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) ने देश के एमिशन नियमों पर सवाल उठाया है। सीएसई ने कहा कि हालिया फॉक्सवैगन कॉरपोरेट धोखाधड़ी से भारत में एमिशन नियमों की खामियां भी उजागर हो गई हैं। इस मामले में भारत की स्थिति बेहद संवेदनशील है, क्योंकि यहां मैन्युफैक्चरर्स के लिए बिना उचित नियमों और अनुपालन ढांचे के तेजी से डीजल कारों का उत्पादन हो रहा है।
भारत का एमिशन नियम बेहद कमजोर
सीएसई ने कहा कि फॉक्सवैगन एमिशन स्कैंडल ग्लोबल व्हीकल इंडस्ट्री का सबसे बड़ा कॉरपोरेट घोटाला है। सीएसई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता राय ने चौधरी ने कहा, भारत में इस मामले पर किसी का ध्यान नहीं गया। सिर्फ यह जांच हो रही है कि क्या यहां भी धोखाधड़ी हुई है। फॉक्सवैगन कॉरपोरेट घोटाले की तकनीकी बेईमानी से भारत में कुछ अन्य क्षेत्रों की तरह एमिशन नियमों में कमजोरियां और खामियां उजागर हुई हैं। यानी उद्योग को एमिशन के प्रदर्शन के मामले में समझौता करने की छूट दी गई। राय चौधरी ने कहा कि इससे भारत अतिसंवेदनशील हो जाता है, क्योंकि यहां तेजी से मोटरी-करण और डीजलीकरण हो रहा है। मैन्युफैक्चरर्स के लिए उचित नियमन और अनुपालन ढांचे का अभाव है।
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क्या है फॉक्सवैगन स्कैंडल
दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन डीजल कारों में एमिशन टेस्ट को गलत बताने वाले सॉफ्टवेयर को लगाने के आरोप से घिरी है। इसके कारण कंपनी को 18 बिलियन डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा है। कंपनी पर आरोप है कि उसने इस गड़बड़ी के जरिये दुनियाभर में तकरीबन 1.1 करोड़ डीजल वाहनों की बिक्री की है। पिछले माह इस घोटाले का खुलासा होने के बाद फॉक्सवैगन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।