नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था इस साल की पहली छमाही में 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। दूसरी ओर रेटिंग फर्म मॉर्गन स्टैनली और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने वर्ष 2016 में भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.7 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है। इस कटौती के पीछे नोटबंदी के बाद कारोबार में आई गिरावट और मंदी के माहौल को वजह बताया गया है।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में ओमप्रकाश यादव और कर्नल सोनाराम चौधरी के प्रश्नों के लिखित उत्तर में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद भारत ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत, 2015-16 में 7.6 प्रतिशत तथा अप्रैल से सितंबर, 2016-17 के दौरान 7.1 प्रतिशत बनाए रखी है।
सीतारमण ने कही ये बातें…
- सीतारमण ने कहा कि सरकार ने औद्योगिक उत्पादन और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।
- इनमें ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में विनिर्माण को गति प्रदान करने के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है।
- सीतारमण ने कहा कि ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल तथा ‘व्यवसाय करने में सुगमता’ (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) योजनाएं भी इसमें शामिल हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगिक विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है।
मॉर्गन स्टैनली ने घटाया ग्रोथ अनुमान
- मॉर्गन स्टैनली और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपने ग्रोथ अनुमान में कटौती की है।
- वर्ष 2016 में भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.7 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है।
- इस कटौती के पीछे नोटबंदी के बाद कारोबार में आई गिरावट और मंदी के माहौल को कारण माना जा रहा है।
- मॉर्गन स्टैनली ने वर्ष 2018 में देश की ग्रोथ रेट के अनुमान को भी 7.8 फीसदी से कम कर 7.6 फीसदी कर दिया है।