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डेयरी उत्पादों का नहीं बढ़ेगा निर्यात, 2016 में 30,000 टन रहने का अनुमान

दुनिया में डेयरी उत्पादों की ज्यादा सप्लाई और गिरती कीमतों के कारण भारत के डेयरी उत्पादों का निर्यात वर्ष 2016 में 30,000 टन पर स्थिर रहने का अनुमान है।

Dharmender Chaudhary
Published : October 26, 2015 19:12 IST
डेयरी उत्पादों का नहीं बढ़ेगा निर्यात, 2016 में 30,000 टन रहने का अनुमान
डेयरी उत्पादों का नहीं बढ़ेगा निर्यात, 2016 में 30,000 टन रहने का अनुमान

दिल्ली दुनिया में डेयरी उत्पादों की ज्यादा सप्लाई और गिरती कीमतों के कारण भारत के डेयरी उत्पादों का निर्यात वर्ष 2016 में 30,000 टन पर स्थिर रहने का अनुमान है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यूएसडीए ने कहा कि 2016 में मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। देश का दूध उत्पादन 4.8 फीसदी बढ़कर 15.4 करोड़ टन हो सकता है। जबकि दूध की घरेलू खपत समान अवधि में पांच फीसदी बढ़कर छह करोड़ 27 लाख टन हो जाने का अनुमान है।

यूएसडीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, अधिक घरेलू खपत के कारण भारत से कुल डेयरी निर्यात काफी कम है। गैर-प्रतिस्पर्धी निर्यात कीमतों के कारण कैलेंडर वर्ष 2016 में फैट फ्री वाले सूखे दूध (एनएफडीएम) का निर्यात 30,000 टन पर अपरिवर्तित रहने का अनुमान है। इसमें कहा गया है कि अधिक वैश्विक आपूर्ति के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कम रहने की उम्मीद है।

दुनिया में दूध के सबसे बड़े उत्पादक देश, भारत आमतौर पर एनएफडीएम का निर्यात बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, संयुक्त अरब अमीरात और अफगानिस्तान सहित दूध की कमी वाले देशों को करता है। भारत केजिन, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों की भी कम मात्रा में पड़ोसी देशों

को निर्यात करता है।

निर्यात की धीमी गति को देखते हुये देश के फैट फ्री वाले सूखे दूध का निर्यात अनुमान वर्ष 2015 के लिए घटाकर 30,000 टन किया गया है। यूएसडीए के अनुसार सामान्य मानसून रहने की स्थिति का अनुमान करते हुए भारत के तरल दूध का उत्पादन अगले वर्ष 4.8 फीसदी तक बढकर 15.4 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है।

आबादी बढ़ने के बाद बढ़ती घरेलू मांग के कारण वर्ष 2016 में पुराना स्टॉक मिलाकर और घी का उत्पादन तीन प्रतिशत बढ़कर 52 लाख टन हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समीक्षाधीन अवधि में आबादी में वृद्धि के कारण घरेलू दुग्ध खपत भी पांच फीसदी बढ़कर छह करोड़ 27 लाख टन हो जाने का अनुमान है।

यूएसडीए ने कहा कि बढ़ती आय, शहरीकरण इत्यादि के कारण अधिक मूल्यवर्धित दुग्ध उत्पादों के लिए मांग बढ़ी है। सहकारिता और निजी क्षेत्र की डेयरी कंपनियां इस मांग को पूरा करने के लिए दूध पाउडर, मक्खन, घी, पनीर, सुगंधित दूध, आइसक्रीम, चीज, योगट और पारंपरिक मिठाई जैसे अधिक दुग्ध उत्पादों का उत्पादन कर रही हैं।

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