नई दिल्ली। पहले की तुलना में अब ज्यादा भारतीय घर से बाहर खाना खाने के लिए निकल रहे हैं और वे अपने साथ अपने परिवार को भी लेकर जा रहे हैं। नेशनल रेस्टॉरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) और कंसल्टिंग फर्म टेक्नोपैक द्वारा संयुक्तरूप से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल फूड सर्विस इंडस्ट्री में परिवार के साथ खाना खाने की हिस्सेदारी 25 फीसदी है। यह रिपोर्ट 24 शहरों में 35,00 उपभोक्ताओं पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रेस्टॉरेंट इंडस्ट्री 2021 तक बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश परिवार बर्थडे और एनीवर्सरी जैसे अवसरों पर घर से बाहर खाना खाने के लिए निकलते हैं। ज्यादातर परिवार नॉर्थ इंडियन फूड का ऑर्डर देते हैं और एक माह में बाहर खाने पर वह 5,000 से 6,000 रुपत तक खर्च करते हैं।
कैफे से बार तक
घर से बाहर खाने की बात हो तो भारतीय फास्ट फूड चेन, दोनों इंडियन और वेस्टर्न फूड, को पहली प्राथमिकता देते हैं, जो कि कैफे और बार की तुलना में ज्यादा किफायती होते हैं। देश में यह सबसे बड़ा बढ़ता संगठित फूड बाजार है, वर्तमान में इसका आकार अनुमान के मुताबिक 9,125 करोड़ रुपए है।
भारतीय अब पहले की तुलना में ज्यादा बार और पब में जाना पसंद कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप इस तरह पब और बार चेन का बाजार पिछले तीन सालों में डबल होकर 1,065 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। दिल्ली और मुंबई में सबसे ज्यादा लोग घर से बाहर खाने पर खर्च करते हैं, इसका कारण बड़ी जनसंख्या और उच्च प्रति व्यक्ति आय है।
फिर भी भारतीय पीछे
इसके बावजूद, शहरी भारतीय अन्य देशों की तुलना में घर से बाहर खाना खाने के मामले में पीछे हैं। रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक शहरी भारत में प्रति व्यक्ति ईटिंग आउट पर होने वाला खर्च 110 डॉलर है, जो कि ब्राजील और चीन से काफी कम है। ब्राजील में यह खर्च 745 डॉलर और चीन में 750 डॉलर है। अमेरिका में यह खर्च सबसे ज्यादा 1870 डॉलर प्रति व्यक्ति है।
58 लाख लोगों को मिलेगी जॉब
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेस्टोरेंट इंडस्ट्री इस साल टैक्स के रूप में 22,400 करोड़ रुपए का योगदान करेगा और 58 लाख डायरेक्ट जॉब सृजित करेगा। एनआरएआई के मानद सचिव राहुल सिंह ने कहा कि रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि रेस्टोरेंट इंडस्ट्री 2021 तक देश की जीडीपी में 2.1 फीसदी का योगदान करेगा।
Source: Quartz