नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश के आर्थिक भविष्य में भारतीयों का भरोसा हाल के वर्षों में कम हुआ है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने भावनाओं को अधिक गहराई से प्रभावित किया है तथा मध्यम वर्ग के कई लोग गरीबी में चले गए हैं। राजन ने एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि घरेलू शेयर बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस यह वास्तविकता को नहीं दर्शाता है कि कई भारतीय गहरे संकट में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में हमारा आत्मविश्वास थोड़ा डिगा है। आर्थिक भविष्य में हमारा विश्वास कम हो गया है महामारी के आंकड़ों ने हमारे आत्मविश्वास को और भी कम कर दिया है, जबकि मध्यम वर्ग के कई लोग गरीबी में चले गए हैं।’’ आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है, जबकि आईएमएफ ने 2021 में 9.5 प्रतिशत और इसके अगले साल 8.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
राजन ने कहा कि आर्थिक कार्यक्रमों का जोर अच्छी नौकरियां पैदा करने पर होना चाहिए, जबकि राज्य लगातार भारत के विचार को कमजोर करते हुए स्थानीय लोगों के लिए रोजगार आरक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हमारा आर्थिक प्रदर्शन घट रहा रहा है, हमारी लोकतांत्रिक साख, बहस करने की हमारी इच्छा, मतभेदों का सम्मान और सहन करने की शक्ति भी प्रभावित हो रही है।’’ उन्होंने भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में शामिल होने की जरूरत पर भी जोर दिया। वर्तमान में शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर राजन ने कहा कि ऐसी वृद्धि जो सभी को साथ नहीं लेकर नहीं चलती है, वह टिकाऊ नहीं है।