टॉप मैनेजमेंट की एक्जिट पर ई-कॉमर्स कंपनियां चुप
फ्लिपकार्ट और स्नैपडील से ई-मेल के जरिए अधिकारियों के कंपनी छोड़ने पर उनके बिजनेस पर क्या असर पड़ा है? यह सवाल पूछा गया तो इसपर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। ऑनलाइन फूड ऑर्डिंग एप जोमेटो के एक प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “हमारा का पूरा ध्यान अपनी लीडरशिप को बढ़ाने पर केंद्रित है और इसी कड़ी में कुछ सीनियर्स ने पिछली तिमाही में कंपनी को ज्वाइन भी किया है।”
इस्तीफा देने के पीछे क्या थी वजह?
वर्ष 2012 से 2014 तक के बाच में भारतीय स्टार्टअप्स अपने सबसे अच्छे फेज में थे, इस दौरान कई वैश्विक निवेशक आकर्षित हुए, कंपनियों ने लाखों डॉलर का फंड जुटाया और साथ ही बड़ी तेजी से भर्तियां भी हुईं। इसी दौरान देश के दिग्गज ब्रैंड्स जैसे कि टाटा ग्रgप, रिलायंस, भारती एयरटेल आदि के वरिष्ठ कार्यकारी भी स्टार्टअप्स के साथ जुड़े। अधिकांश मामलों में कंपनी की स्थापना की तुलना में भर्ती किए गए व्यक्ति का अनुभव ज्यादा था। लेकिन बीते एक साल में स्टार्टअप्स की तस्वीर बदली है और तमाम सीनियर मैनेजर्स ने स्टार्टअप्स को अलविदा कहा है।
सी के गुरुप्रसाद हेडरिक एंड स्ट्रगल्स एक्जिक्यूटिव सर्च फर्म के पार्टनर के मुताबिक इन सब लोगों को गलत कारणों से हायर किया गया था, इन लोगों ने भी स्टार्टअप्स को गलत कारणों से ज्वाइन किया था और अब गलत कारणों की वजह से ही ये लोग संस्थान छोड़ रहे हैं। साथ ही गुरुप्रसाद ने यह भी कहा कि अधिकांश लोग जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप ज्वाइन किए हैं वे हेडलाइन में आने की वजह से आकर्षित हुए। उस दौरान स्टार्अप्स लैंड ग्रैबिंग फेस में थी जहां वे बिना किसी स्ट्रैटजी के ज्यादा से ज्यादा लोगों की भर्ती करना चाहते थे।
पिछले साल गूगल से फ्लिपकार्ट आए पुनीत सोनी का कहना है कि “मैने तकरीबन उन सभी लोगों से बात की है जो छोडकर जा चुके है और जो जाने की तैयारी में है। उनसे बात कर के मुझे उनके इस्तीफे की दो बड़ी वजह लगीं। पहली कि कई लोगो को कंपनी में काम करने के लिए उपयुक्त इकोसिस्टम नहीं मिला। और दूसरी वजह यह कि कई लोग जो सैन फ्रांसिसको से आए थे और वे यहां के कल्चर में खुद को ढाल नहीं पाए। कई लोग सिलिकॉन वैली से भारत में लीडरशिप रोल्स के लिए आए थे वे पहले ही छोड़ कर जा चुके हैं और मुझे अन्य कई लोगों की और जाने की उम्मीद है। कई हाई प्रोफाइल बिजनेस लीडर्स ने भारतीय स्टार्टअप्स से हार नहीं मानी और अपने खुद की कंपनी लॉन्च कर चुके है। उदाहरण के तौर पर फ्लिपकार्ट के मुकेश बंसल और अंकित नागोरी हेल्थ व फिटनेस स्पेस के लिए एक नए वेंचर पर काम कर रहे हैं। स्नैपडील के चंद्रशेखरण भी आन्ट्रप्रनर्शिप में आगे काम कर रहे है। सोनी का कहना है कि मैने भारतीय इकोसिस्टम का त्याग नहीं किया है। अगर आपने भारत की क्षमता देखी है तो भारत को त्यागना मूर्खता है।
स्टार्टअप्स में घटी नौकरियां
मौजूदा समय में भारतीय स्टार्टअप्स में अबतक की सबसे कम भर्तियां हो रही हैं। ऐसा ह्यूमन रिसोर्स इंडस्ट्री के सूत्रों का मानना है। कंपनियां पहले की तुलना अब उतना वेतन देने में असक्षम है। हाल ही में शुरु हुए स्टार्अप्स अपने ग्रोथ के लक्ष्य से चूक गए है जिसकी वजह से उनकी वैल्युएशन भी कम हो रही है। पिछले महीने फ्लिपकर्ट, कारदेखो, इनमोबी, हॉपस्कॉच और रोडरनर जैसी कंपनियों ने हाल ही में हुए ग्रैजुएट्स की ज्वाइनिंग 6 महीने के लिए स्थगित कर दी है। स्टार्टअप्स अपनी कंपनी के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए निवेशकों पर आश्रित हैं।