नई दिल्ली। आने वाले समय में संभव है कि आपके पास ऐसे गैजेट हों जो गिरने से आई टूट फूट को खुद ही ठीक कर लें, और आपको इसका पता तक नहीं चलेगा। दरसअल भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पदार्थ विकसित कर लिया है, जिसमें खुद को रिपेयर करने की क्षमता है। सरकार के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक आईआईएसईआर कोलकाता और आईआईटी खड़गपुर ने मिलकार इस पदार्थ का निर्माण किया है। जानकारी के मुताबिक ये पदार्थ टक्कर की वजह से होने वाली टूटफूट को रिपेयर करने में सक्षम है। नई खोज के साथ विज्ञान और तकनीक से लेकर आर्थिक क्षेत्र में नई संभावनाओं की राह खुल गयी है।
कैसा करता है ये पदार्थ काम
वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्होने पीजोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर क्रिस्टल विकसित किये हैं, जिनकी खासियत है कि इनमें किसी टक्कर के बाद इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा हो जाता है। टूटफूट होने वाली जगह जैसा दरार या स्क्रेच पर टक्कर के बाद टूटे हिस्सों में इलेक्ट्रिक चार्ज आने से वो वापस सतह की तरफ आकर्षित होने लगते हैं और टूटफूट की मरम्मत होने लगती है।
क्या होगा फायदा
वैज्ञानिकों के मुताबिक इन क्रिस्टल की कोई कमी नहीं है, और ये बिना किसी बाहरी मदद के खुद ही किसी टक्कर के बाद रिपेयर का काम शुरू कर देते हैं। पदार्थ की स्वयं जुड़ने की खासियत की वजह के साथ रिपेयर का ये काम पूरी शुद्धता के साथ बिना वक्त गंवायें किया जा सकता है,। रिलीज के मुताबिक अंतरिक्ष यान जैसे मामलों में जहां हर वक्त इंसान मरम्मत के लिये उपलब्ध नहीं रह सकता, वहां ये तकनीक काफी काम आ सकती है। इससे न केवल रखरखाव का खर्च कम होगा साथ ही उपकरण तेजी के साथ रिपेयर हो सकेंगे।
आगे क्या है भविष्य
वैज्ञानिकों ने अब इस पदार्थ के इस्तेमाल की संभावनाओं की तलाश की शुरुआत कर दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हाई-एंड माइक्रो चिप, मैकेनिकल सेंसर और माइक्रो रोबोटिक्स में इन पदार्थों का इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों की माने तो इस खोज के बाद से वो वक्त दूर नहीं जब ऐसे स्मार्ट गेजैट मिलने लगें जो किसी स्क्रैच या क्रैक को खुद ही ठीक कर लें और आपको इसका पता भी न चले।
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