नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहमदाबाद से मुंबई के बीच महात्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन (Mumbai-Ahmedabad bullet train project) का सपना पूरा होने में अभी शायद और अधिक वक्त लग सकता है। ऐसा भी संभव है कि देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच न चले। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव (Railway Board Chairman VK Yadav) ने शनिवार को कहा कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण में हो रही देरी को देखते हुए मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को चरणबद्ध तरीके से शुरू करेगी।
यादव ने बताया कि 508 किलोमीटर लंबी मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल के काम में कुछ बाधाएं आ रही हैं। ये बाधाएं महाराष्ट्र में किसानों के विरोध प्रदर्शन और राज्य सरकार से जुड़ी हुई हैं। हालांकि गुजरात में बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम अपनी पूरी गति से आगे बढ़ रहा है। यादव ने कहा कि यदि जमीन अधिग्रहण में और देर होती है तब ऐसी स्थिति में रेल मंत्रालय ने गुजरात के वापी तक ही बुलेट ट्रेन को पहले चरण में चलाने की योजना बनाई है।
यादव ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे को आश्वासन दिया है कि अगले चार महीनों में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 80 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक बार ऐसा हो जाने पर, हम पूरी लाइन पर एक साथ काम शुरू कर सकते हैं और फिर दोनों राज्यों की बुलेट ट्रेन को एक साथ चलाया जा सकता है। हमें अगले चार महीनों में पूरी तस्वीर मिल जाएगी और फिर तय किया जाएगा कि कमीशन चरणों में किया जाएगा या एक बार में। हालांकि, अगर महाराष्ट्र भूमि अधिग्रहण में देरी हो रही है, तो वापी तक 325 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। यह निर्णय चार महीने में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक परियोजना के लिए 68 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
रेलवे को 2020 में यात्री राजस्व में हुआ 87 प्रतिशत नुकसान
कोरोनावायरस के कारण लगाए गए राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से रेलवे को अपनी सभी यात्री ट्रेन, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन को बंद करना पड़ा, मगर रेलवे अपनी आय से परिचालन व्यय को पूरा करेगा। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने बताया कि रेलवे को 2020 में यात्री राजस्व में पिछले वर्ष की तुलना में 87 प्रतिशत नुकसान हुआ है। यादव ने कहा कि कई व्यय नियंत्रण उपायों और माल ढुलाई से होने वाली कमाई से यात्री खंड को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी।
कोविड महामारी के कारण भारतीय रेलवे को अब तक यात्री राजस्व में 87 प्रतिशत की कमी झेलनी पड़ी है, जो पिछले साल के 53,000 करोड़ रुपये से घटकर सिर्फ 4,600 करोड़ रुपये रह गई है।
माल ढुलाई राजस्व में हुई वृद्धि
यादव ने कहा कि रेलवे को माल ढुलाई के राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने खाद्यान्न और उर्वरकों जैसे गैर-पारंपरिक वस्तुओं की ढुलाई के जरिए भरपाई करने की उम्मीद जताई है। यादव ने कहा कि रेलवे ने पिछले साल की तुलना में अब तक 12 प्रतिशत कम खर्च किया है। हमने अपने खर्च को नियंत्रित कर लिया है और चूंकि कुछ ट्रेनें नहीं चल रही हैं, इसलिए हम ईंधन और इन्वेंट्री पर बचत कर रहे हैं। कोविड-19 के बावजूद, हम अपने राजस्व से अपने परिचालन व्यय को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने पिछले साल के माल ढुलाई और माल ढुलाई राजस्व दोनों को पार कर लिया है। इसलिए इस साल का राजस्व माल ढुलाई से पिछले साल की तुलना में अधिक होगा।
63 लाख मजदूरों को पहुंचाया घर
यादव ने कहा कि इस साल राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर की सबसे बड़ी उपलब्धी यह रही है कि वह आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बनाए रखने में कामयाब रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 63 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को उनके घर भेजा गया।