नई दिल्ली। कोविड-19 संकट की चुनौतियों के बीच भारतीय रेल ने 27 जुलाई को पिछले साल का माल ढुलाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए 31.3 लाख टन की लदाई की है, जबकि पिछले साल रेलवे ने 27 जुलाई को ही 31.2 लाख टन की माल ढुलाई की थी। रेल मंत्रालय ने मंगलवार को एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।
हालांकि माल गाड़ियों का कुल मालवहन पिछले साल की तुलना में 18.18 प्रतिशत कम रहा। मंत्रालय के अनुसार 27 जुलाई 2020 को कुल माल लदान 31.3 लाख टन रहा। रेलवे के माल ढुलाई के भरे हुए कुल 1039 डिब्बों (रेकों) में से खाद्यान्न के 76, उर्वरक के 67, इस्पात के 49, सीमेंट के 113, लौह अयस्क के 113 और कोयले के 363 डिब्बे शामिल रहे। इस दिन माल गाड़ियों की औसत गति 46.16 किलोमीटर प्रति घंटे मापी गई। यह पिछले वर्ष इसी तिथि की औसत गति 22.52 किलोमीटर प्रति घंटे की तुलना में दोगुनी है।
मंत्रालय ने कहा कि इस साल जुलाई माह में माल गाड़ियों की औसत गति 45.03 किलोमीटर प्रति घंटा रही है। यह पिछले साल जुलाई की तुलना में लगभग दोगुनी है। इसमें 54.23 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति के साथ पश्चिम मध्य रेलवे सबसे ऊपर रहा। वहीं पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के तहत रेलगाड़ियां 51 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति, पूर्व मध्य रेलवे में 50.24 किलोमीटर प्रति घंटे, पूर्व तट रेलवे में 41.78 किलोमीटर प्रति घंटे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 42.83 किलोमीटर प्रति घंटे, दक्षिण पूर्व रेलवे में 43.24 किलोमीटर प्रति घंट और पश्चिम रेलवे में 44.4 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति के साथ दौड़ीं।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने एक ऑनलाइन संवाददता सम्मेलन में कहा कि माल ढुलाई में किए गए इन सुधारों को संस्थागत रूप दिया जाएगा और आने वाले समय में शून्य आधारित टाइम टेबल में शामिल किया जाएगा। इन उपायों के माध्यम से, माल ढुलाई और रेलवे की आय में बढ़ोतरी होगी और पूरे देश के लिए प्रतिस्पर्धी संचालन लागत में बहुत हद तक बढ़ोतरी होगी।
भारतीय रेलवे ने चालू वित्त वर्ष में मालवहन को 2019-20 के मुकाबले 50 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। माल ढुलाई को आकर्षक बनाने के लिए भारतीय रेलवे कई प्रकार की रियायतें/छूट भी दे रहा है।