नई दिल्ली। सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में समय और लागत को कम करने के लिये भारतीय रेलवे ने 2 बेहद लंबी मालगाड़ियों का परिचालन शुरू किया है। रेलवे मंत्रालय के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक त्रिशूल और गरूड़ नाम से शुरू की गयी ये मालगाड़ियां आम मालगाड़ियों के मुकाबले करीब 3 गुना लंबी है। रेलवे के मुताबिक इन मालगाड़ियों की मदद से लागत और समय दोनो बचाने में काफी मदद मिलेगी, और ऐसे क्षेत्रों में जहां भीड़ ज्यादा है और संसाधन कम हैं, ये गाड़ियां काफी फायदेमंद साबित होंगी।
क्या है इन मालगाड़ियों की खासियत
इन ट्रेन की वीडियो जारी करते हुए रेलवे ने जानकारी दी कि ये ट्रेन वास्तव में 3 मालगाड़ियों को जोड़कर तैयार किया गया है। त्रिशूल दक्षिण मध्य रेलवे की पहली लंबी दौड़ वाली ट्रेन है जिसमें तीन मालगाड़ियाँ, यानी 177 वैगन शामिल हैं। इस ट्रेन को गुरुवार को विजयवाड़ा मंडल के कोंडापल्ली स्टेशन से पूर्वी तट रेलवे के खुर्दा मंडल के लिए रवाना किया गया। इसके बाद एससीआर ने शुक्रवार को गुंतकल मंडल के रायचूर से सिकंदराबाद मंडल के मनुगुरु तक इसी तरह की एक और ट्रेन 'गरुड़' चलाई। दोनों लंबी ट्रेनों में मुख्य रूप से थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयले की खदान के लिए खाली खुले वैगन शामिल है। एससीआर यानि साउथ सेंट्रल रेलवे भारतीय रेलवे के पांच प्रमुख माल ढुलाई वाले रेलवे में से एक है। यहां विशाखापत्तनम-विजयवाड़ा-गुडुर-रेनिगुंटा, बल्लारशाह-काजीपेट-विजयवाड़ा, काजीपेट-सिकंदराबाद-वाडी, विजयवाड़ा-गुंटूर-गुंतकल खंडों से माल थोक में सप्लाई होता है। रेलवे के मुताबिक इन गाड़ियों की मदद से भीड़भाड़ वाले मार्गों पर समय की बचत, तेजी के साथ सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना, कम कर्मचारियों के साथ ज्यादा काम पूरा किया जा सकेगा। वहीं इन ट्रेन की मदद से पावर प्लांट को तेजी से कोयला पहुंचाया जा सकेगा।
ये हैं भारत की सबसे लंबी मालगाड़ियां
साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे के पास देश में सबसे लंबी मालगाड़ी चलाने का रिकॉर्ड है। फिलहाल यहां पर देश की सबसे लंबी मालगाड़ी वासुकी चलाई जा रही है, जो कि 5 मालगाड़ियों को मिलाकर बनायी गयी है, और जिसकी कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर है। इससे पहले ये रिकॉर्ड 4 ट्रेन को जोड़कर चलायी गयी शेषनाग के पास ये रिकॉर्ड था। इन सभी मालगाड़ियों में 4 से ज्यादा इंजनों का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि चालक दल सबसे आगे वाले इंजन में ही होते हैं और बाकी इंजन वायरलैस से कनेक्टेड होते हैं जिससे 4 मालागाड़ियों के लिये 4 स्टाफ की जगह सिर्फ एक स्टाफ ही पूरी गाड़ी को ऑपरेट करता है।