नई दिल्ली। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सामाजिक बाध्यताएं पूरी करने के साथ रेलवे को वाणिज्यिक संगठन जैसा चलाना भी है। यहां महाप्रबंधकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा कि यात्री तथा माल ढुलाई यातायात बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए। साथ ही चूंकि रेलवे चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में गैर-किराया राजस्व की हिस्सेदारी बढ़ाने के उपायों पर भी गौर करना चाहिए।
रेल मंत्री ने कहा, अगर हम इसे एक वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में चलाते हैं, हम सामाजिक बाध्यताओं को पूरा नहीं कर सकते और हम सामाजिक बाध्यताएं पूरी करते हैं, हम इसे वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में नहीं चला सकते। लेकिन हमें इसे सामाजिक बाध्यताएं पूरी करने के साथ इसे वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रेलवे को जापानी और चीनी रेलवे वित्तीय माडल के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए स्टेशन के पुनर्विकास पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, यह हमारे लिए एक प्राथमिकता है। राज्यों के साथ संयुक्त उद्यम काफी जरूरी है। रेलवे अकेले अपने संसाधनों के दम पर काम नहीं कर सकती। इसीलिए जहां भी संभव हो, पीपीपी का रास्ता तलाशना चाहिए। रेल मंत्री ने कहा, राज्यों के लाभ के लिये हम पहले ही विश्वबैंक, आईडीएफसी, आईडीएफसी, आईसीआईसीआई से बात कर चुके हैं ताकि संयुक्त उद्यम परियोजनाओं के लिये वित्त पोषण हो सके। एक होल्डिंग कंपनी रेलवे की अनुषंगी इकाइयों की जिम्मेदारी लेगी। हम रेलवे में कामकाज सुधारने के लिये कई विचारों पर काम कर रहे हैं।
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