नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा (पीसीएएफ) से बाहर आ गया है। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि बैंक ने विभिन्न मानदंडों पर सुधार किया है और साथ लिखित में यह भरोसा दिलाया है कि वह न्यूनतम पूंजी नियमों का अनुपालन करेगा। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि आईओबी के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद वित्तीय निगरानी बोर्ड ने 2020-21 के वित्तीय नतीजों के प्रकाशन के आधार पर पाया है कि बैंक पीसीए मानकों का उल्लंघन नहीं कर रहा है। बैंक को 2015 में पीसीए के तहत डाला गया था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसी के मद्देनजर आईओबी को पीसीए अंकुशों से बाहर करने का फैसला किया गया है। इसके लिए बैंक को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा और उसकी निरंतर निगरानी की जाएगी।
इससे पहले इसी महीने रिजर्व बैंक ने यूको बैंक को भी पीसीए रूपरेखा से बाहर किया था। रिजर्व बैंक ने तब कहा था कि बैंक के विभिन्न कार्य मानदंडों में सुधार आने और बैंक की तरफ से न्यूनतम पूंजी नियमों का अनुपालन करने के बारे में लिखित प्रतिबद्धता व्यक्त किये जाने के बाद यह कदम उठाया गया। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा था कि यूको बैंक के कामकाज की समीक्षा के बाद वित्तीय निगरानी बोर्ड ने बेंक के 2020- 21 के प्रकाशित वित्तीय परिणामों के आधार पर यह पाया कि बैंक पीसीए मानदंडों का उल्लंघन नहीं कर रहा है। बयान में कहा गया है कि बैंक ने न्यूनतम नियामकीय पूंजी नियमों, शुद्ध एनपीए और दूसरे नियमों का पालन करने को लेकर लिखित में अपनी प्रतिबद्धता जताई है। बैंक ने अपने ढांचागत और प्रणालीगत सुधारों के बारे में भी रिजर्व बैंक को अवगत कराया है जिससे कि बैंक को वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि उपरोक्त सभी बातों पर विचार करते हुये यह निर्णय लिया गया कि यूको बैंक को पीसीए प्रतिबंधों से बाहर कर दिया जाये। हालांकि, इसके साथ ही कुछ शर्तें और लगातार निगरानी जारी रहेगी। कोलकाता मुख्यालय वाला यूको बैंक मई 2017 से पीसीए मानदंडों के दायरे में था। अभी सार्वजनिक क्षेत्र का एक बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया इसके तहत है।