Key Highlightsमई 2015 की तुलना में 2016 में ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री अनुमान से कम रही।मार्च में जारी किए गए नए नियम इस बिक्री में गिरावट की बड़ी वजह हो सकते हैं।नियमों के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को भारी डिस्काउंट की पेशकश नहीं कर सकती।नई दिल्ली। देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों में बिक्री की रफ्तार कमजोर पड़ने लगी है। इसके लिए आप देश में ऑनलाइन शॉपिंग के लिए लोगों का रूझान कम होना कहेंगे या ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दिए जाने वाले भारी डिस्काउंट पर सरकार की सख्ती का असर ? वजह जो भी हो लेकिन यह तय है कि भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री की ग्रोथ का पहिया अब धीमा पड़ने लगा है। बीते दो वर्षों से भारी डिस्काउंट की बदौलत जबरदस्त ब्रिकी और निवेशकों की ओर से हर दिन मिलती मोटी फंडिग के कारण ई-कॉमर्स इंडस्ट्री ने खूब सुर्खियों बटौरी। लेकिन पिछले 6 से 8 महीनों में ई-कॉमर्स सेक्टर की तस्वीर बदली है जिसके बाद तमाम बड़ी कंपनियों को भी नए निवेशक ढूंढने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।GMV में गिरावटटाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक मई 2015 की तुलना में 2016 में ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री अनुमान से कम रही। बीते साल जहां मई में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की कुल ग्रॉस मर्चेंडाइस वैल्यु (GMV) 900 करोड़ डॉलर के करीब रहा, वहीं इस साल यह आंकड़ा करीब 1000 करोड़ डॉलर का है। आंकड़ों के लिहाज से ब्रिकी की ग्रोथ रेट सालाना 11 फीसदी रही, जो इंडस्ट्री के अनुमान से काफी कम है। GMV, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस पर होने वाली कुल बिक्री को कहते हैं, जिसमें डिस्काउंट और वापसी शामिल नहीं होती।दिग्गज कंपनियों का निकला दमआंकड़ों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट का GMV पिछले साल की तरह इस साल भी बिना किसी ग्रोथ के 400 करोड़ डॉलर पर स्थिर रहा। जबकि इससे एक साल पहले कंपनी ने 400 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की थी।अमेजन के GMV इस साल कुछ सुधरते दिखे। पिछले साल कंपनी ने कुल 100 करोड़ डॉलर की बिक्री की थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 270 करोड़ डॉलर के करीब है। हालांकि अमेजन अमेरिकी कंपनी है, जिसने महज 3 साल पहले ही भारत में अपना कारोबार शुरू किया है। अमेजन को बेस पिछले साल छोटा होने की वजह से आंकड़ों में ग्रोथ दिख रही है।तीसरी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है, जबकि इससे पहले के वर्षों में कंपनी ने लगातार बिक्री के नए रिकॉर्ड बनाए हैं।सरकार की नए नियमों का दिखा असरविशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरकार की ओर से इस साल मार्च में ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए एफडीआई संबंधी नए नियम इस बिक्री में गिरावट की बड़ी वजह हो सकते हैं। नए नियमों के मुताबिक ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियां जिनमें एफडीआई निवेश है, वे ग्राहकों को विशेष डिस्काउंट की पेशकश नहीं कर सकती और उनकों चीजों की कीमतें मार्केट के अनुरूप तर्कसंगत रखनी होगी।ई-कॉमर्स के लिए FDI नियमों की अन्य शर्तों में DIPP के कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी वस्तु के बिक्री मूल्य को प्रभावित नहीं कर सकती। बिक्री मूल्य को बाजार के अनुरूप तर्कसंगत ही रखना होगा। इसके बाद ई-कॉमर्स कंपनियां निश्चित तौर पर भारी डिस्काउंट मेला जैसे इंवेंट से वंचित रह गई और तमाम ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से बिक्री बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रमोशन कम किए गए हैं। ऑनलाइन शॉपिंग में ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दिया जाने वाला डिस्काउंट ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने का एक बड़ा हथियार होता है।DIPP की ई-कॉमर्स में FDI संबंधी निर्देशों को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…अब तक ई-कॉमर्स कंपनियां वेंचर कैपिटल या अन्य रास्तों से मिलने वाले निवेश का बड़ा हिस्सा डिस्काउंट पर खर्च करती हैं। जिससे वे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर GMV के आंकड़े को बढ़ा सकें। ऐसे में यह कहना लाजमी होगा कि आने वाले समय में भारत में ई-कॉमर्स की ग्रोथ का पहिया धीमा पड़ता दिख सकता है। पेवर्ल्ड ग्रामीण उपभोक्ताओं को देगा ऑनलाइन खरीदारी का अवसर, अमेजन के वितरकों की संख्या 250% बढ़ी