नई दिल्ली। ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के 2.02 अरब डॉलर में रूस के वैंकॉर तेल क्षेत्र में 23.9 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण सौदे से ओएनजीसी विदेश लि. (ओवीएल) के इसी क्षेत्र में 11 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने के लिए मूल्य घटाने की बातचीत का मामला बिगाड़ दिया। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की विदेश इकाई ओवीएल ने पिछले साल सितंबर में वैंकॉर के रूस में दूसरे सबसे बड़े तेल क्षेत्र में 15 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण 1.268 अरब डॉलर में किया था।
इस साल मार्च में रोसनेफ्ट ने 11 फीसदी और हिस्सेदारी ओवीएल को बेचने की सहमति दी थी। इसी के साथ उसने वैंकॉर की 23.9 फीसदी हिस्सेदारी ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल तथा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की इकाई वाले गठजोड़ को बेचने के लिए करार किया। सूत्रों ने बताया कि ओवीएल का निदेशक मंडल चाहता था कि 11 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने के लिए मूल्य कम करने पर बातचीत हो। यदि सितंबर, 2015 के हिसाब से चला जाए तो ओवीएल को इस अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए 93 करोड़ डॉलर का भुगतान करना होगा। लेकिन कंपनी का निदेशक मंडल का कहना है कि चूंकि वह अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित कंपनी में उल्लेखनीय हिस्सेदारी खरीद रही है इसलिए मूल्य को लेकर वार्ता नए सिरे से होनी चाहिए।
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एक तरफ जहां ओवीएल नए सिरे से वार्ता चाह रही थी, वहीं ऑयल इंडिया-इंडियन ऑयल-भारत पेट्रोलियम के गठजोड़ ने वैंकॉर में 23.9 फीसदी हिस्सेदारी 2.02 अरब डॉलर में लेने के लिए बाध्यकारी करार कर लिया। गठजोड़ ने रोसनेफ्ट को सौदा पूरा होने तथा पूरा भुगतान किए जाने तक ब्याज देने की भी सहमति दी है। यह 30 सितंबर तक होने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि अब रोसनेफ्ट दलील दे रही है कि जब 23.9 फीसदी हिस्सेदारी की बड़ी खरीदार सितंबर, 2015 के सौदे के तहत मूल्य देने को तैयार है, तो ऐसे खरीदार से नए सिरे से वार्ता की गुंजाइश नहीं बनती जो कम यानी 11 फीसदी हिस्सेदारी ले रहा है। सभी सौदे पूरे होने के बाद भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की वैंकॉर में 49.9 फीसदी हिस्सेदारी होगी। इससे उन्हें 2,20,000 बैरल प्रतिदिन का तेल उत्पादन मिलेगा। वैंकॉर क्षेत्र पूर्वी साइबेरिया में स्थित है और यह उत्पादन के हिसाब से रूस का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। रूस के कुल उत्पादन में इसका हिस्सा 4 फीसदी है। फिलहाल इसका उत्पादन 4,22,000 बैरल प्रतिदिन है।
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