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Power Crisis: 6 रुपये/यूनिट वाली बिजली एनर्जी एक्‍सचेंज पर बिक रही है 20 रुपये में, मुनाफाखोरी रोकने की उठी मांग

इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के जरिये निजी कंपनियों ने सिर्फ तीन दिन के अंदर देश भर में मनमानी दरों पर बिजली बेचकर 840 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 15, 2021 11:43 IST
Indian Energy exchanges sells electricity at high cost amid coal crisis- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

Indian Energy exchanges sells electricity at high cost amid coal crisis

नई दिल्‍ली। कोयला संकट के बीच इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर कथित मुनाफाखोरी के आरोप लग रहे हैं। देश में कोयले के संकट के कारण बिजली उत्पादन में गिरावट हुई है। ऐसे में राज्य सरकारें इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीद रही हैं। मगर इस मंच पर कंपनियां मनमाने दाम पर बिजली बेच रही हैं। स्थिति यह है कि छह रुपये प्रति यूनिट से भी कम लागत वाली बिजली को 20 रुपये प्रति यूनिट तक बेचा जा रहा है।

उत्‍तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह को पत्र लिखा है। शर्मा ने पत्र में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का एक पत्र संलग्न करते हुए कहा है कि इस खत में इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की मुनाफाखोरी को खत्म करने और पावर एक्सचेंज पर महंगी बिजली ना बेची जाए, इसके लिए बिजली विक्रय दर की अधिकतम सीमा तय करने का अनुरोध किया है। मंत्री ने पत्र में केंद्रीय बिजली मंत्री से इस मामले में जनहित के मद्देनजर जल्द आवश्यक कार्यवाही कराने का आग्रह किया है।

उत्‍तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि देश में कोयले के संकट के कारण बिजली उत्पादन में गिरावट हुई है। ऐसे में राज्य सरकारें इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीद रही हैं। मगर इस मंच पर कंपनियां मनमाने दाम पर बिजली बेच रही हैं। स्थिति यह है कि छह रुपये प्रति यूनिट से भी कम लागत वाली बिजली को 20 रुपये प्रति यूनिट तक बेचा जा रहा है।

3 दिन में कंपनियों ने कमाया 840 करोड़ का मुनाफा

वर्मा ने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने गुरुवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर प्रस्ताव सौंपा जिसमें आरोप लगाया गया है कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के जरिये निजी कंपनियों ने सिर्फ तीन दिन के अंदर देश भर में मनमानी दरों पर बिजली बेचकर 840 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही इस दौरान कंपनियों ने 80 करोड़ रुपये से ज्यादा का लाभ कमाया है। यह आपदा में अवसर तलाशने वाली बात है। सरकार को इस मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए अधिकतम विक्रय दर की एक जायज सीमा तय करनी चाहिए। केंद्र का कानून है कि बिजली की ट्रेडिंग करने वाला कोई भी व्यक्ति चार पैसा प्रति यूनिट से ज्यादा लाभ नहीं कमा सकता लेकिन इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में मुनाफाखोरी चरम पर है।

यह बिजली का नहीं, कोयले का संकट

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि मौजूदा बिजली आपूर्ति संकट बिजली का नहीं, कोयले का संकट है, जो कंपनियों द्वारा राजस्थान को समझौते के अनुसार कोल रैक उपलब्ध नहीं कराने के कारण पैदा हुआ है। डॉ कल्ला ने यहां एक बयान में कहा कि कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण तापीय बिजली उत्पादन संयत्रों में उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोयला मंत्रालय से लगातार समन्वय किया जा रहा है। उन्होंने यहां एक बयान में कहा,' वास्तविकता में यह देखा जाए तो राज्य के तापीय बिजली संयंत्रों में विद्युत उत्पादन में गिरावट बिजली का नहीं बल्कि कोयले का संकट है।  उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में कोई बकाया नहीं है, कोयले की आपूर्ति की एवज में प्रदेश द्वारा समयबद्ध भुगतान किया जा रहा है।

बाधाओं को दूर करें, बिजली संयंत्रों को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कोयला कंपनियों से बिजली उत्पादन संयंत्रों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए खनन और उत्पादन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कहा। कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री जोशी देश भर के विभिन्न बिजली संयंत्रों में ईंधन की कमी की खबरों के बीच झारखंड के एक दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने राज्य में कुछ परियोजनाओं का जायजा लेने के अलावा कोल इंडिया की इकाई सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के शीर्ष अधिकारियों के साथ लंबी बैठकें कीं।

जोशी ने सीआईएल की सहायक कंपनियों के अधिकारियों से कहा कि त्योहार शुरू हो गये हैं और बिजली संयंत्रों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है। मंत्री ने कहा कि कुछ खदानों के बंद होने और कुछ अन्य खदानों में मानसून की बारिश के कारण पानी भरने से यह कोयला संकट पैदा हुआ है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्थिति में सुधार हो रहा है।

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