नई दिल्ली। यूरोप में स्थित कुछ भारतीय दूतावासों ने देश का निर्यात बढ़ाने के लिए वाणिज्य विभाग को विभिन्न उपायों को लेकर सुझाव दिए हैं। इनमें व्यापार विवादों को हल करने के लिए घरेलू निर्यातकों की उचित तरीके से उपस्थिति बढ़ाना भी शामिल है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक, दूरसंचार, कपड़ा, वस्त्र, चमड़ा और जूते, खाद्य उत्पाद और कृषि, वाहन, इस्पात तथा दवा जैसे कुछ क्षेत्रों की सिफारिश की, जिनमें भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोपीय बाजारों में काफी संभावनाएं हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने 1,500 से अधिक उत्पादों की एक सूची विभिन्न देशों में स्थित दूतावासों के साथ साझा की है, ताकि वे उन देशों में घरेलू कंपनियों के लिए अवसरों का पता लगा सकें।
अन्य सुझावों में छोटे एवं मध्यम उपक्रमों (एसएमई) का अधिग्रहण करने के लिए घरेलू कंपनियों को ऋण उपलब्ध कराया जाना, गुणवत्ता को लेकर जागरुकता बढ़ाना, व्यापार विवादों को हल करने के बारे में परिभाषित दिशानिर्देश, जर्मन व्यापार मेलों में भारतीय निर्यातकों की उपस्थिति, ई-कॉमर्स पोर्टलों के माध्यम से परिधान और उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात को आगे बढ़ाना और स्वास्थ्य सेवाओं में अवसरों की खोज करना शामिल हैं।
यह भी सिफारिश की गई है कि बेल्जियम में पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा परिधान) और जैविक खाद्य पदार्थों की अच्छी मांग है, जबकि नीदरलैंड में मूंगफली, प्रसंस्कृत सब्जियां, कोको और बासमती चावल जैसी कृषि वस्तुओं के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं।